पीलीभीत । टाइगर रिजर्व पिछले चार साल से अक्सर विवादों में घिरा रहता है जिसका मुख्य कारण जंगल के अंदर मछली का अवैध शिकार, घास निकासी और क्षेत्रवासियों द्वारा जंगल से साइकिल पर लाद कर लाई जा रही लकड़ी इन आरोपों के चलते कई रेंज अधिकारियों को बदनामी उठाना पड़ी है। लेकिन कहीं ना कहीं जब रेंज अधिकारी के ऊपर मुफत में जंगल घूमने वाले जंगल के विश्राम करेंगे में तीन चार दिन कैंप कर मुफ्त की रोटी तोड़ने वाले जब अधिकारियों पर भुज बन जाते हैं तो कोई भी अधिकारी अपनी तनख्वाह से किसी को नहीं खिला सकता जिसके कारण रेंज अधिकारियों को तीली में से ही तेल निकालना पड़ता है। ऐसे में वन अधिकारी वन्य जीवन को बिना नुकसान पचाए जंगल से आने वाली रकम मुफ्त खोर को खिलाने में और अधिकारियों को खुश करने में लगा देते हैं। शायद यही वजह रही कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पूर्व महोफ रेंजर आरिफ जमाल इसका शिकार हो गए थे। क्योंकि उन्होंने अपनी रेंज में मुफत खोरी बिल्कुल बंद कर रखी थी कई बार बड़े-बड़े और अधिकारी आए तो आरिफ जमाल ने साफ तौर पर उच्च अधिकारी को स्पष्ट कर दिया था कि खर्चा मेरे द्वारा नहीं किया जाएगा जिनकी मुफ्त खोर मेहमान यह आए हैं वही लोग उनका खर्चा उठाएं ऐसे में आरिफ जमाल के खिलाफ शासन में काफी शिकायतें की गई और जिस पर अंतिम मुहर विभागीय अधिकारियों ने लगाते हुए आरिफ जमाल को मुख्यालय से अटैच करते हुए रेंज़ से हटवा दिया था। जिसके बाद शासन ने आरिफ जमाल को लखनऊ बुलाकर कोट किस में अटैच कर दिया लेकिन आरिफ जमाल का जब काम करने का तरीका देख कर उच्च अधिकारियों ने उन्हें लखनऊ सिटी रेंजर पद पर तैनात कर दिया। वैसे भी रेंज अधिकारी पद मिलने के बाद इस पद पर तैनात किसी भी अधिकारी को अपना जिला छोड़ना पड़ता है क्योंकि गस्टेड अधिकारी को उसके पैतृक जिले में पोस्टिंग नहीं दी जाती है। फिलहाल पीलीभीत टाइगर रिजर्व मैं विवादों में घिरे रेंजर आरिफ जमाल को सुकून की कुर्सी नसीब हो गई।