कथा व्यास ने कहा श्री राम के आदर्शों को जीवन में उतारें, मर्यादित और मंगलमयी बनें
उझानी। क्षेत्र के समीपवर्ती गांव बरसुआ में चल रही श्रीराम कथा के छठवें दिन भक्तिरस से ओत-प्रोत वातावरण देखने को मिला। कथा शिरोमणि श्री रवि महाराज ने अपने ओजस्वी एवं भावपूर्ण संबोधन में रामकथा के अनेक महत्वपूर्ण और मार्मिक प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया, जिसे सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे।

पांडाल जय श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। रवि महाराज ने रावण, विभीषण और कुंभकर्ण के जन्म की कथा सुनाते हुए बताया कि जहां रावण ने शक्ति, विद्या और तप का दुरुपयोग कर धर्म और धार्मिक सज्जनों को नष्ट करने के लिए जगह-जगह आतंक के केंद्र स्थापित किए, वहीं विभीषण ने सत्य, धर्म और भगवान श्रीराम की शरण को अपनाकर आदर्श प्रस्तुत किया। कुंभकर्ण के चरित्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि बल और सामर्थ्य जब विवेक से रहित हो जाए तो उसका अंत विनाश में ही होता है। इसके पश्चात लक्ष्मण–परशुराम संवाद का अत्यंत रोचक और प्रेरक वर्णन करते हुए कथा वाचक रवि महाराज ने कहा कि मर्यादा, विनम्रता और धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त की जा सकती है। धनुष यज्ञ में भगवान श्रीराम द्वारा शिव धनुष भंग करने के प्रसंग ने श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। जैसे ही धनुष यज्ञ का समाचार अवधपुरी पहुंचा, संपूर्ण नगरी में हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ गई। अयोध्या में मंगल गीत गूंज उठे और बारात प्रस्थान की तैयारियां होने लगीं। श्रद्धालु भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि रामकथा जीवन को सही दिशा देने वाली जीवन-यात्रा है। जो व्यक्ति राम के आदर्शों को जीवन में उतार लेता है, उसका जीवन स्वयं ही मर्यादित और मंगलमय बन जाता है।
इस मौके पर अंजू चौहान, प्रधान राकेश सिंह, राजीव सिंह, हरवीर सिंह, आदित्य, उत्पल सक्सेना, विकास, कमलेश मिश्रा, सरिता मिश्रा, जगदीश यश, धर्मेंद्र कुमार, मोर सिंह लोधी,
अनिल, कुलदीप, वेदपाल सिंह, सुभाष, विकास गिरी, रबिंद्र सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर रामकथा का श्रद्धा और भक्ति भाव से श्रवण किया।
