ललितपुर में फर्जी डॉक्टर प्रकरण, पांच महीने पहले की गई थी शिकायत, नहीं हुआ संज्ञान

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ललितपुर। मेडिकल कॉलेज में जीजा की डिग्री पर चिकित्सक बनकर नौकरी करने वाले इंजीनियर अभिनव सिंह के मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। इस फर्जीवाड़े की शिकायत लगभग पांच महीने पहले ही अमेरिका में रह रहे उसके जीजा डॉ. राजीव गुप्ता ने की थी, लेकिन उस समय इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। शिकायत 20 जुलाई को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यानी एनएमसी को ईमेल के माध्यम से भेजी गई थी। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य मयंक शुक्ला का कहना है कि शिकायत गलत ईमेल आईडी पर भेजी गई थी, इसी कारण उसका संज्ञान नहीं लिया जा सका।

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अभिनव सिंह पर आरोप है कि उसने अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान और चिकित्सकीय डिग्रियों का इस्तेमाल कर खुद को डॉक्टर बताकर नौकरी हासिल की। जनपद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एनसीडी सेल में कार्डियोलॉजी और जनरल मेडिसिन के पद पर उसकी नियुक्ति करीब तीन वर्ष पहले की गई थी। स्वास्थ्य विभाग की चयन समिति भी इस फर्जीवाड़े को नहीं पकड़ सकी।

अमेरिका के टेक्सास प्रांत के बेल्टन शहर निवासी डॉ. राजीव गुप्ता ने एनएमसी को भेजे गए ईमेल में पहचान चोरी का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया था कि उन्होंने 17 फरवरी 1993 को कोलकाता के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की थी और 19 अप्रैल 1993 को उनका रजिस्ट्रेशन हुआ था। इसके बाद 1993 से 1996 तक एएमयू से मेडिसिन में एमडी किया। 1997-98 में एएमयू में रजिस्ट्रारशिप के बाद वर्ष 1999 में वे अमेरिका चले गए और तब से वहीं रह रहे हैं। वे इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं और अमेरिका के नागरिक भी हैं।

डॉ. राजीव गुप्ता ने शिकायत में आरोप लगाया था कि अभिनव सिंह नाम का व्यक्ति उनकी पहचान का इस्तेमाल कर ललितपुर और मध्य प्रदेश के खुरई में डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस कर रहा है। इसकी पुष्टि उनकी पत्नी की एक परिचित ने की थी, जो मुजफ्फरनगर में रहती है। ईमेल में उन्होंने यह भी लिखा था कि एनएमसी की वेबसाइट पर उनका रजिस्ट्रेशन एक ऐसे ईमेल आईडी से जुड़ा दिख रहा है, जो उनका नहीं है और उन्होंने कभी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। उन्होंने फर्जी डॉक्टर से मरीजों को होने वाले संभावित नुकसान को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।

अभिनव सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इस बात की जांच में जुट गई है कि वह किस तरह अपने जीजा के नाम और दस्तावेजों के आधार पर स्वयं को डॉ. राजीव गुप्ता के रूप में स्थापित करने में सफल रहा। तीन वर्षों तक मेडिकल कॉलेज में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने के इस मामले में पुलिस अब पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक स्वयं इस प्रकरण की निगरानी कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कई अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की तैयारी की जा रही है।

इस मामले में उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामनरेश सोनी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है। तहरीर में बताया गया कि 10 दिसंबर को अमेरिका से डॉ. सोनाली सिंह ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को प्रार्थना पत्र देकर पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी दी थी। जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति ने पुष्टि की कि अभियुक्त अभिनव सिंह ने अपने जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की एमबीबीएस और एमडी डिग्रियों को कूटरचित कर आर्थिक और भौतिक लाभ उठाया।

जांच में सामने आया कि फर्जी डिग्री, आधार कार्ड और अन्य कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर अभियुक्त ने मेडिकल कॉलेज की जिला सीसीयू और कैंसर यूनिट में संविदा पर विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट और जनरल मेडिसिन के पद पर नौकरी हासिल की। बिना किसी वैध योग्यता और अनुभव के उसने गंभीर हृदय रोगियों का इलाज किया, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है।

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