फर्जी आईएएस ललित किशोर का 200 करोड़ ठगी रैकेट बेनकाब: लग्जरी लाइफ, एलीट नेटवर्क और एआई से चल रहा था पूरा खेल

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200 करोड़ रुपये का सरकारी ठेका दिलाने का झांसा देकर लोगों से करोड़ों की ठगी करने वाले फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार की लग्जरी लाइफ और ठगी नेटवर्क का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी का मासिक खर्च 5 लाख रुपये से अधिक था। खुद को 2022 बैच का आईएएस बताने वाला ललित महंगी गाड़ियों, 10–12 किराए के गनरों, निजी मैनेजर, बड़े होटलों और हाई-प्रोफाइल स्टाइल के दम पर लोगों को आसानी से भरोसे में ले लेता था। वह मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी के मेहसौल का रहने वाला है।

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पहले गणित का शिक्षक रहे ललित किशोर को वर्ष 2023 में एडमिशन के नाम पर दो लाख रुपये लेने के आरोप में सुपर 100 कोचिंग सेंटर से निकाल दिया गया था। एमएससी के बाद मैथ से पीएचडी कर रहा था, लेकिन इसी दौरान फर्जी पहचान बनाकर ठगी का रास्ता अपना लिया। उसके खिलाफ 2016 में सीतामढ़ी के रीगा थाने में एक युवती को बहला-फुसलाकर भगाने की पहली प्राथमिकी दर्ज हुई थी—वही युवती वर्तमान में उसकी पत्नी है और उससे उसके दो बच्चे भी हैं। पिछले पांच महीनों से वह गोरखपुर के चिलुआताल थाना क्षेत्र में किराए के मकान में पत्नी, बच्चों और साले के साथ रह रहा था।

ललित किशोर हमेशा 10–12 गनरों के काफिले के साथ चलता था, जिनमें प्रत्येक को 30 हजार रुपये मासिक देता था। उसने एक निजी मैनेजर भी रखा था, जिसे 60 हजार रुपये महीने मिलते थे। उसके पास स्कॉर्पियो और अर्टिगा जैसी लग्जरी गाड़ियां थीं, जिनकी ईएमआई वह हर महीने 30–30 हजार रुपये चुकाता था। गोरखपुर के होटलों में उसका मासिक रूम रेंट 30 हजार रुपये तक पहुंचता था। सरकारी छवि दिखाने के लिए वह ‘सरकारी कार्य पर’ लिखी निजी गाड़ियों का भी इस्तेमाल करता था।

जांच में उसकी निजी जिंदगी भी उतनी ही चौंकाने वाली सामने आई है। आरोपी की एक पत्नी और चार प्रेमिकाएं हैं—तीन गोरखपुर और एक सीतामढ़ी की। इनमें तीन गर्भवती पाई गई हैं। उन सभी पर वह महंगे मोबाइल, ज्वैलरी और लाखों रुपये खर्च करता था। ब्रांडेड कपड़ों और एलीट लाइफस्टाइल का बेहद शौकीन ललित खुद को हाई प्रोफाइल अधिकारी की तरह पेश करता था।

पिछले पांच महीनों से वह अपने किराए के मकान से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से ठगी चला रहा था। भटहट, पीपीगंज, कैम्पियरगंज सहित कई क्षेत्रों के स्कूलों में वह फर्जी आईएएस बनकर निरीक्षण करने भी पहुंचा था। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान वह दो लग्जरी गाड़ियों और गनरों के काफिले के साथ स्कूलों में घुसा था। हालांकि अब तक स्कूलों से धन उगाही की शिकायतें नहीं मिली हैं।

दस्तावेज तैयार करने के लिए वह एआई तकनीक का खुलकर इस्तेमाल करता था। बैठक पत्र, मंत्रालय के नोट, नियुक्ति आदेश, अनुमोदन पत्र—सब कुछ एआई से तैयार करता था। मीटिंग के फोटो से असली अधिकारियों की तस्वीर हटाकर अपनी फोटो लगा देता था। पुलिस को उसके पास से देवरिया जिलाधिकारी की मीटिंग का संपादित फोटो भी मिला है।

एसएसपी के निर्देश पर पुलिस उसके पूरे नेटवर्क और फर्जी दस्तावेज बनाने वालों की जांच कर रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि अब तक उसने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया और उसके साथ कौन-कौन शामिल था। पुलिस के अनुसार, ठगी का यह नेटवर्क बेहद संगठित और हाई-टेक तरीके से चलता था।

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