अच्छी सोच से ही अच्छे समाज का होगा निर्माण,अच्छी शिक्षा राष्ट्र को परिवर्तित कर सकती
बरेली। संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान शिशु शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश द्वारा एक जिला बैठक स्थानीय कुंवर बृजमोहन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर नेकपुर में आयोजित की गई। जिसमें प्रदेश निरीक्षक नगरीय यशवीर सिंह सह प्रदेश निरीक्षक हरवीर सिंह जिला समन्वयक सुनील कुमार सिंह ने दीप प्राज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया विद्यालय व्यवस्थापक राजीव सक्सेना एवं प्रधानाचार्य ओंमकार सिंह गंगवार ने अतिथियों को शाल एवं पटका पहनकर स्वागत किया। प्रदेश निरीक्षक यशवीर सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा अच्छी सोच रखने से हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं यदि हम बच्चों को एक अच्छी मनोस्थिति के अनुसार शिक्षण करें तो निश्चित रूप से बालक समाज के साथ जुड़कर एक अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। सह प्रदेश निरीक्षक हरवीर सिंह चाहर ने विद्या भारती के आधारभूत विषय नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, संगीत शिक्षा, संस्कृत और योग शिक्षा जो कि हमारे प्राणवायु को मजबूत करती है इन पर विस्तार से चर्चा की इसी के साथ पांच कोष जिसमें मनोंमय कोष, विज्ञानमय कोष, आनंदमय कोष ,अन्नमय कोष प्राणमय कोष पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि शिशु इन कोषों से जुड़कर आनंद के साथ शिक्षा ग्रहण करता है।

विद्या भारती के आयाम मानसिक, शारीरिक, संस्कारात्मक और आध्यात्मिक इन सभी से जुड़ते हुए शिशु का शिक्षण हो तो वह एक अच्छी दिशा में समाज के साथ प्रस्तुत हो सकता है एक अच्छी शिक्षण पद्धति के लिए पंचपदी शिक्षण पद्धति जिसमें अधीति,बोध, अभ्यास, प्रयोग और प्रसार इसका समावेश होने से हमारा शिक्षण बहुत अच्छा हो सकता है हमारे नैतिक मूल्य श्रेष्ठ होने से निश्चित रूप से हम एक अच्छे नागरिक बन सकते हैं। इसी के साथ पंच परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए श्री चाहर ने कहा पाँच प्रमुख आयामों पर बल दिया है, जिन्हें “पंच-परिवर्तन” कहा जाता है। यह अभियान संगठनात्मक दृष्टि से नहीं, बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास, समाज की चेतना और व्यक्तित्व निर्माण के आधार पर आगे बढ़ाया जा रहा है। पहला परिवर्तन विचार-परिवर्तन है, जिसमें राष्ट्रीयता, भारतीय जीवन-दर्शन, सांस्कृतिक गौरव और आत्मसम्मान को जागृत करने पर बल दिया गया। दूसरा परिवर्तन व्यवहार-परिवर्तन है, जिसके माध्यम से व्यक्ति-व्यक्ति में अनुशासन, सहयोग, सहनशीलता और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया गया। तीसरा परिवर्तन आचार-परिवर्तन के रूप में रखा गया, जिसमें व्यक्तिगत जीवन में शुचिता, कर्तव्यपरायणता और सेवा-भाव को अपनाने की बात कही गई। चौथा परिवर्तन समाज-परिवर्तन है, जिसके अंतर्गत समाज के सभी वर्गों में समानता की भावना, आत्मीयता और परस्पर सहयोग की संस्कृति विकसित करने का लक्ष्य रखा गया। जातीय, आर्थिक या सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर आत्मीय समाज का निर्माण संघ की प्राथमिकता बताई गई। पांचवां परिवर्तन राष्ट्रीय-परिवर्तन के रूप में उल्लेखित किया गया, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत, सांस्कृतिक-राष्ट्रवाद एवं विश्व-कल्याण की दृष्टि से भारत को अग्रणी बनाना है। विद्यालय व्यवस्थापक श्री राजीव सक्सेना ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया इस अवसर पर बरेली महानगर के सभी विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं 189 आचार्य आचार्य उपस्थित रहे। उक्त जानकारी शिशु शिक्षा समिति ब्रज प्रदेश के जिला मीडिया प्रभारी राजेश कुमार शर्मा ने दी।
