डंपर कार पर पलटा, मां-बेटा, बेटी-दामाद समेत सात की दर्दनाक मौत
सहारनपुर । एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे के दौरान जब भीड़ कार के ऊपर से बजरी हटा रही थी, तभी अंदर से कुछ आवाजें सुनाई दे रही थीं। प्रत्यक्षदर्शियों संजीव कुमार, राजीव और दिनेश ने बताया कि ऐसा लग रहा था मानो कोई अंदर सिसक रहा हो, लेकिन जब तक बजरी हटाई गई, तब तक सभी आवाजें थम चुकी थीं। बताया जा रहा है कि उस समय तक संदीप की सांसें चल रही थीं। संदीप अपने मामा के यहां जा रहे थे। यह कार उसके बड़े भाई प्रदीप की शादी में आई थी और कार वह खुद चला रहा था। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के अंडरपास में अचानक बजरी से लदा डंपर कार पर पलट गया, जिससे किसी को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला।
हादसे के बाद घटनास्थल से लेकर एसबीडी जिला अस्पताल तक भारी पुलिस बल तैनात रहा। जिला अस्पताल में एसपी सिटी व्योम बिंदल के साथ सदर बाजार, जनकपुरी और शहर कोतवाली पुलिस मौजूद रही। घटनास्थल पर एसपी देहात सागर जैन, सीओ प्रथम मुनीश चंद्र, सीओ सदर प्रिया यादव और चिलकाना, सरसावा, फतेहपुर, गागलहेड़ी थानों की पुलिस पहुंची।
मंडलायुक्त डॉ. रुपेश कुमार, डीआईजी अभिषेक सिंह, डीएम मनीष बंसल और एसएसपी आशीष तिवारी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। डीएम ने एनएचएआई कर्मचारियों को अंडरपास में बिजली की व्यवस्था करने और दोनों सर्विस रोड पर ब्रेकर लगाने के निर्देश दिए, ताकि हादसों को रोका जा सके।
सहरानपुर के सोना सैयद माजरा गांव के पास एक्सप्रेसवे पर तेज रफ्तार बजरी से लदा ओवरलोड डंपर कार पर पलट गया। हादसे में मां-बेटा, बेटी-दामाद और अन्य दो समेत सात लोगों की मौके पर मौत हो गई। सभी एक रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। हादसे के बाद लोगों ने एक्सप्रेसवे पर जाम लगा दिया। करीब साढ़े तीन घंटे तक अफसरों, नेताओं और यात्रियों के वाहन फंसे रहे। पुलिस ने लाठियां फटकारकर भीड़ को हटाया।
गागलहेड़ी थाना क्षेत्र के सोना सैयद माजरा गांव निवासी मेडिकल स्टोर संचालक संदीप सैनी (25) के मामा ऋषिपाल सैनी की गुरुवार शाम मौत हो गई थी। शुक्रवार सुबह अंतिम संस्कार के लिए संदीप अपनी मां रानी (55), बहन जूली (27), जीजा शेखर (28), भांजे अनिरुद्ध (2), मौसेरे भाई विपिन (22) और भाई प्रदीप के ससुर उमेश सिंह (55) के साथ पंच कार से निकला था। सुबह करीब सवा नौ बजे जैसे ही उनकी कार अंडरपास के पास पहुंची, तेज रफ्तार डंपर अनियंत्रित होकर कार पर पलट गया। ग्रामीणों ने दौड़कर मदद की, लेकिन जेसीबी की सहायता से एक घंटे बाद ही शवों को बाहर निकाला जा सका। लोगों ने डंपर चालक और परिचालक को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। सांसद इमरान मसूद, एमएलसी शाहनवाज अली, विधायक आशु मलिक, पूर्व मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी सहित कई नेता मौके पर पहुंचे।
इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने चमारीखेड़ा टोल के पास जाम लगा दिया और एनएचएआई तथा जिला प्रशासन को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया। ग्रामीणों का आरोप था कि एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद भी ओवरब्रिज शुरू नहीं किए गए हैं। सात सदस्यों के निधन से महेंद्र सैनी गम में डूब गए। ग्रामीण उन्हें ढांढस बंधाते रहे, लेकिन वे गहरे सदमे में थे। वे रोते हुए बार-बार यही कहते रहे कि उनकी दुनिया उजड़ गई। उन्होंने कहा कि बेटी-दामाद की असमय मौत के बाद अब पांच वर्षीय नाती अभिनंदन का भविष्य उन्हें सबसे अधिक सताता है। बच्चा अब बिन मां-बाप कैसे पलेगा, उसे तो यह भी पता नहीं कि उसके माता-पिता इस दुनिया में नहीं रहे।
हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड में रहा। अधिकारियों ने शासन को हर पल की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने भी घटना पर संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। टोल प्लाजा और एक्सप्रेसवे पर पुलिस फोर्स तैनात कर निगरानी बढ़ा दी गई। यह हादसा इस साल का सबसे बड़ा सड़क हादसा बताया जा रहा है।
जाम के दौरान ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने की मांग की। काफी देर की जद्दोजहद के बाद अधिकारियों ने मृतकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता और वाहन के थर्ड पार्टी बीमा का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया। सांसद इमरान मसूद ने भी पीड़ित परिवार से मुलाकात कर कहा कि दुख की घड़ी में वे उनके साथ हैं और हर संभव मदद दिलाई जाएगी।
