उर्स नियाज़ी का बड़ा कुल शरीफ सम्पन्न, शान-ओ-शौकत से निकला चादर का जुलूस

बरेली। खानकाहे नियाज़िया में जारी दस रोज़ा उर्स कुतबे आलम हज़रत क़िब्ला शाह नियाज़ अहमद रहमतुल्लाह अलैह का बड़ा कुल शरीफ़ शुक्रवार को अकीदतमंदों की भारी मौजूदगी में संपन्न हुआ। खानकाह, नूर महफ़िल खाना और आसपास की इमारतों में दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ठीक 2:10 बजे कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। तबर्रुक हासिल करने के लिए लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ा।

शाम 4:00 बजे चादरों का जुलूस जनाब जुनैदी मियां नियाज़ी की क़ियादत में कोहाड़ापीर वारसी मदरसे से रवाना होकर कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप पर जलसे में तब्दील हो गया। रास्तेभर जुलूस का जोरदार स्वागत किया गया और जगह-जगह फूलों की बारिश, पानी-शरबत की सबीलें और मिठाइयाँ वितरित की गईं।

मौलाना क़ासिम नियाज़ी ने इस दौरान कुतबे आलम की हयात, करामात और तालीमात पर तफसील से रौशनी डाली। जुलूस के स्वागत में अंजुमन-ए-वारसिया के सदर हाजी ग़ज़नफ़र हुसैन वारसी, ग़य्यास मियां वारसी, तौसीफ उर्फ़ राजू, शारिक खाँ, शफीक़ उद्दीन, कैसर खां वारसी, सय्यद शाकिर वारसी, फईम खाँ, शराफ़त ख़ाँ, रहीम शेख, महताब अहमद, लईक मियां, नईम सलमानी, जितेन्द्र कुमार आनंद सहित अनेक संस्थाओं, व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने स्वागत किया।

शाम को सज्जादा नशीन की मौजूदगी में मजारात पर चादरें पेश की गईं। इसके बाद खानकाह शरीफ में दावत-ए-खास हुई, जिसमें शहर के मोअज्ज़ज़ीन और अधिकारी शामिल हुए।

रात की महफ़िल सूफियाना रंग में डूबी रही। मशहूर कव्वालों ने सूफ़ियाना कलाम पेश कर माहौल को रूहानी बना दिया। ठीक 1:00 बजे हज़रत सज्जादा नशीन शाही लिबास में मसनद पर तशरीफ लाए। खानकाह और बाहर की सड़कों पर खड़े लोग दीदार को बेताब नज़र आए। 2:30 बजे कुल शरीफ़ पढ़ा गया। इसके बाद खानकाही चौकी की चिश्तिया रंग और सलामी के दौरान कडका पढ़ा गया। खास दुआ के बाद तबर्रुक तक्सीम किया गया।

उर्स में हिंदुस्तान और विदेशों से आए फनकारों ने भी हाजिरी दी। आखिर में हल्का-ए-ज़िक्र के साथ छठी शरीफ़ की तकरीबात का इख़्तेताम हुआ। कार्यक्रम के इंतज़ाम में मो. आरिफ, साकेत सुधाकर शर्मा, भूपेंद्र भाई, हाजी ज़फ़र वारसी, अनुराग सिंह नीटू सहित अन्य का योगदान रहा।

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