उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूखंड आवंटन की एक समान नीति बनेगी, नीलामी की जगह लॉटरी व्यवस्था लागू होगी
लखनऊ । औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में अब भूखंड उपलब्ध कराने के अलग-अलग नियम और शर्तें समाप्त कर पूरे प्रदेश के लिए एक समान नीति लागू की जाएगी। भविष्य में भूखंड आवंटन नीलामी से नहीं बल्कि लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। आवंटित भूमि का उपयोग यदि निर्धारित उद्योग स्थापना के लिए नहीं किया गया, उसका दुरुपयोग हुआ या बिना अनुमति हस्तांतरित किया गया, तो ऐसा आवंटन स्वतः निरस्त माना जाएगा। यह निर्णय बुधवार को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में लघु उद्योग भारती प्रतिनिधिमंडल और शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
बैठक में सूक्ष्म और लघु उद्यमों के विस्तार, उद्योग स्थापना की प्रक्रियाओं को सरल बनाने और औद्योगिक क्षेत्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने पर विस्तृत चर्चा की गई। यह प्रस्ताव रखा गया कि एक ही प्रकार के उत्पाद बनाने वाले उद्यमों के लिए एक ही औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड आवंटित कर उद्योग क्लस्टर तैयार किए जाएं। सूक्ष्म उद्यमियों को सस्ती किस्तों पर शेड उपलब्ध कराकर प्लग एंड प्ले सुविधा विकसित करने पर भी सहमति बनी।
चर्चा के दौरान उद्योगों के लिए लीज रेंट को न्यूनतम करने पर सहमति बनी। यदि भूखंड सरकारी भूमि पर है तो केवल विकास व्यय ही लिया जाएगा, जबकि निजी भूमि पर कुल लागत और विकास खर्च में कम से कम 25 प्रतिशत की छूट देने का सुझाव रखा गया। किराए के स्थानों पर चल रहे उद्योग या अपने उद्योग का विस्तार चाहने वाले उद्यमियों को भूमि आवंटन में प्राथमिकता देने पर भी सहमति व्यक्त की गई।
उद्यमियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए फायर एनओसी को सामूहिक प्रणाली के माध्यम से आसान बनाने, भूखंड कब्जा अवधि को तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने करने, मानचित्र अनुमोदन प्रक्रिया को समयबद्ध करने और प्रदूषण, फायर तथा विद्युत सुरक्षा से संबंधित एनओसी को मानचित्र के साथ ही सुनिश्चित करने पर भी विचार किया गया।
मंत्रियों ने यह भी निर्देश दिया कि प्रीमियम और किस्तों पर ब्याज भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट आधारित व्यवस्था के अनुसार ही लिया जाए। ब्याज केवल साधारण स्वरूप में लगे और कब्जा मिलने के बाद ही देय हो, ताकि उद्यमियों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ न पड़े।
बैठक में यह निर्देश भी दिया गया कि औद्योगिक क्षेत्र से वसूले जाने वाले टैक्स और मेंटेनेंस शुल्क में नगर निगम और औद्योगिक प्राधिकरण के बीच एकरूपता लाई जाए। साथ ही, वसूली गई धनराशि का उपयोग केवल संबंधित औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर ही किया जाए, ताकि औद्योगिक ढांचे को मजबूत किया जा सके और उद्यमियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों।
