साकार संस्था ने किया कवि सम्मेलन
बरेली। साकार संस्था, बरेली के दो दशक पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्थापना दिवस कार्यक्रम के सायं कालीन स्थानीय ओशी बैंकट हॉल में सांस्कृतिक सत्र का विशेष आकर्षण ‘कवि सम्मेलन’ रहा, जिसमें नगर के प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोतावृन्द को भाव- विभोर कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ नवगीतकार रमेश गौतम रहे।
डॉ. मुकेश ‘मीत’ ने अपना कविता पाठ वीणा वादिनी को समर्पित करते हुए किया इसके पश्चात उन्होंने अपनी रचना पढ़ी-
चैन लुट जाए ऐसी दुनिया में आग लग जाए ऐसी दुनिया में। गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने अपना व्यंग्य- गीत इस प्रकार प्रस्तुत किया-
‘सम्मेलन चाहे जैसा हो, सब पर नज़र गड़ाई हमने
आयोजक के घर पहुॅंचाई, मेवा और मिठाई हमने
संचालन मिल जाए हमको, अपनी धाक जमाने को
क्या-क्या जतन किए मत पूछो, मंच बड़े हथियाने को।’
डॉ. प्रणव गौतम ने बदलाव की आहट को कुछ इस तरह अभिव्यक्त किया.. ‘युग परिवर्तन की आहट को देख रही हैं खुली खिड़कियाॅं’… नहीं मिटाती कभी लकीरें, बड़ी लकीरें हुई लड़कियाॅं।’
हास्य कवि उमेश त्रिगुणायत ‘अद्भुत’ ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा कि ‘छप्पन भोग जिन्होंने जग में बिन नापे कूते खाए।
बतखोरी मक्खनबाजी चुगली के बलबूते खाए।
माना एक समय तक उनकी बल्ले बल्ले रहती है,
लेकिन अंत समय में ऐसे लोगों ने जूते खाए। गजलकार राम कुमार”अफरोज़”ने ‘मनमाफिक़ अपना किरदार किया जा सकता है
नाव बिना भी दरिया पार किया जा सकता है।’ गज़ल पढ़कर मजबूत इरादों से अपने सपने साकार करने का आवाहन किया ।
प्रो. संध्या सक्सेना ने ‘टूटे अवशेषों के रहते गीत भूत के रच पाए हो, उनकी मौन व्यथा को जानो, तो मैं जानूं।’ कविता प्रस्तुत कर मौन की भाषा के बारे में चिंतन करने का आवाहन किया। मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ नवगीतकार रमेश गौतम ने
‘तुम अंधेरों से घिरी हो, पर उजाले बाॅंटती हो’
नवगीत से सभी को मंत्र मुक्त कर दिया । संस्था की सचिव नीतिका एवं निदेशक शिल्पी ने पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर आमंत्रित कवियों को सम्मानित किया। संचालन प्रो. संध्या सक्सेना ने किया।
साकार संस्था के स्थापना दिवस की सांस्कृतिक संध्या को बहुत ही सार्थक मोड़ देते हुए, एक नवीन ऊर्जा और समाज के प्रति दृढ़प्रतिबद्धता के साथ यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
इस अवसर पर अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा शहर के सम्मानित अतिथि भी उपस्थित रहे। सभी ने साकार संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की और सामाजिक परिवर्तन की इस निरंतर यात्रा के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
