केबी हिंदी सेवा न्यास की ओर से ‘कुंडलिया दिवस’ पर काव्य गोष्ठी हुई,कवियों ने विकृतियों पर प्रहार किया
बिसौली। के. बी. हिंदी सेवा न्यास की ओर से ‘कुंडलिया दिवस’ पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता हरस्वरूप शर्मा ने की। संचालन न्यास के सह सचिव विजय कुमार सक्सेना ‘विजय’ ने किया.।
शुभआरम्भ न्यास के अध्यक्ष डॉ. सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधांशु’ व मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया. डॉ. सुधांशु द्वारा वाणी वंदना की गई.
अशोक कुमार दुबे ‘अशोक’ ने कुंडलिया पढ़ी-
पुलवामा में कार से, किया एक्सीडेंट।
घटनाक्रम ऐसा किया, ज्यों फ़िल्मी स्टंट।।
ज्यों फ़िल्मी स्टंट, वीर चालीस बिचारे।
भीषण था विस्फोट, सभी थे स्वर्ग सिधारे।
कह ‘अशोक’ कविराय, पाक का था यह ड्रामा।
सैनिक हुए शहीद, जगह थी वह पुलवामा।।
श्रीपाल शर्मा ‘शमन’ ने सुनाया –
सकल जगत में हे प्रभो, तेरा ही विस्तार।
बिन तेरे जग में प्रभो, मनुज जन्म बेकार।।
मनुज जन्म बेकार, मोह माया में फँसता।
मोह लोभ मय देख, मित्र सारा जग हँसता।
कहे ‘शमन’ कविराय, सभी पड़ते मुश्किल में।
तेरा ही विस्तार, प्रभो हे जगत सकल में।।
डॉ. सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधांशु’ ने वाचन किया –
छब्बे बनने चले थे, चौबे ज़ी
प्रशांत।
दूबे बनकर आ गए, दूर हो गई भ्रान्ति।।
दूर हो गई भ्रान्ति,सफलता जीरो पाई।
दो सीटों को छोड़, जमानत सभी गंवाई।
कह ‘सुधांशु’ कविराय, राय दी है यह सबने।
दुबे बने प्रशांत, चले थे छब्बे बनने।।
रमेश चन्द्र मिश्रा ‘सहज’ ने सुनाया-
के.बी.हिंदी न्यास की,हुई गोष्ठी मित्र।
कवियों ने निर्मित किए, कुंडलियों के चित्र।।
कुंडलियों के चित्र, दिवस कुंडलिया का था।
सबने महिमा गान, किया कुंडलिया गाथा।
कहे ‘सहज’ कविराय, सभी कवि हिंदी सेवी।
हुई गोष्ठी मित्र, न्यास की हिंदी के. बी.।।
विजय कुमार सक्सेना ‘विजय’ ने सुनाया –
खाँसी क्या हमको हुई, पत्नी हुई उदास।
कोरोना के ख़ौफ से, आती है नहिं पास।
आती है नहिं पास, रखे सामाजिक दूरी।
प्रभु से कर फरियाद, आस जल्दी हो पूरी।
कहे ‘विजय’ कविराय, बड़ी है सत्यानासी।
कर ले थोड़ा जतन, जल्द मिट जाये खाँसी।।
राजीव कुमार उपाध्याय ने सुनाया –
छोटी होगी सोच तो, होंगे छोटे काम।
होते छोटे काम के, छोटे ही परिणाम।।
छोटे ही परिणाम, सोच यदि होगी उन्नत।
होंगे शुभ परिणाम, देश की होगी उन्नति।
कह कविवर ‘राजीव’, सफलता बने कसौटी।
बड़े देखना स्वप्न, सोच मत रखना छोटी।।
इसके अतिरिक्त हरस्वरूप शर्मा, रुद्रांश वत्सभार्गव, भक्ति शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया. इस अवसर पर आशुतोष शर्मा, कुसुम लता सहित अनेक लोग उपस्थित रहे. न्यास अध्य्क्ष डॉ. सतीश चन्द्र शर्मा ‘सुधांशु’ ने गोष्ठी में उपस्थित सभी कवियों को स्वरचित कुंडलिया संग्रह ‘सबसे कहें कबीर’ की एक प्रति व अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया.
अध्यक्षीय उदवोधन के पश्चात गोष्ठी का समापन किया गया.।
न्यास के सहसचिव विजय कुमार सक्सेना ने सभी का आभार व्यक्त किया।




















































































