उझानी। जैन समाज के चार दिवसीय श्री आदिनाथ मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन तीर्थंकर भगवान के तप व ज्ञान कल्याणक को धूमधाम से मनाया गया। परम तपस्यी आचार्य रत्न श्री 108 वसुनंदी सागर जी महाराज ने उपस्थित जैन धर्मावलंबियों को सत्कर्म करने के लिए प्रेरित किया ।उन्होंने जिनेन्द्र भगवान के बारे में प्रवचन के माध्यम से कहा कि पंचकल्याणक जैन धर्म के पाँच पवित्र आयोजनों का एक समूह है, जो एक तीर्थंकर के जीवन की पाँच प्रमुख घटनाओं का प्रतीक है: गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक। तप कल्याणक वह घटना है जब तीर्थंकर सांसारिक जीवन को त्यागकर आत्म-कल्याण के लिए मुनि दीक्षा धारण करते हैं और आत्म-ध्यान में लीन हो जाते हैं। जब तीर्थंकर सांसारिक सुखों को त्यागकर और सब कुछ छोड़कर वन में जाते हैं और आत्म-कल्याण के लिए मुनि दीक्षा ग्रहण करते हैं।एवं केवल ज्ञान कल्याणक जब तीर्थंकर को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है, यानी वे ‘केवली’ बन जाते हैं।जब तीर्थंकर शरीर का त्याग कर कर्मों से मुक्त हो जाते हैं और निर्वाण प्राप्त करते हैं। भगवान के वैराग्य की क्रिया को सजातीय कलाकारों द्वारा मंच नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। जिसमें समस्त जैन समाज भावुक होकर अश्रुपूर्ण हुआ।इस दौरान केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, युवा नेता हर्षवर्धन राजपूत ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर आचार्य श्री 108 वसुनंदी सागर जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर जैन समाज अध्यक्ष अनूप जैन, मृगांक कुमार जैन,उपाध्यक्ष जयदीप जैन, मंत्री अभिषेक जैन, कार्यक्रम संयोजक निखिल जैन अशोक जैन, सिद्धार्थ जैन, संचित, अंकित, शशांक, विनीत कुमार जैन उर्फ विन्नी, पिंकुल, सम्यक जैन, राजेन्द्र जैन, सुरेश चंद्र जैन, अरूण कुमार जैन, सोमिल जैन, संजीव जैन, नारायण जैन,रचित जैध,आकाश, संगीता जैन, मनका जैन, अनामिका, प्राची, साक्षी, कृतिका साक्षी, तृप्ति आदि उपस्थित रहे।