गो आश्रय स्थलों में पराग पशु आहार की आपूर्ति स्थानीय दुग्ध समितियों के माध्यम से कराई जाए…
बरेली । विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा मंत्री धर्मपाल सिंह ने की। गो आश्रय स्थलों में पराग पशु आहार की आपूर्ति स्थानीय दुग्ध समितियों के माध्यम से सुनिश्चित कराई जाए। गोशालाओं में गो कास्ठ/मोक्ष दंडिका के उत्पादन हेतु सीएसआर फण्ड से मशीनें स्थापित की जाए, जिससे गोशालाओं का आर्थिक स्वावलम्बन हो सके। भूसा टेंडर का कार्य तत्काल पूर्ण किया जाए अन्यथा संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। जनपद अमरोहा, बागपत, इटावा, शामली तथा मेरठ के मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों को भूसा टेंडर कार्यों में लापरवाही बरतने पर सख्त चेतावनी देते हुए कार्य प्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिए। वर्तमान में किसानों के खेत से पराली इकट्ठा करके गौआश्रय स्थलों में बिछावन एवं कुट्टी काटकर आहार के रूप में प्रयोग कर लिया जाए। पराली के बदले में गोआश्रय स्थल से किसानों को गोबर की खाद उपलब्ध करायी जाए। जनपदों में पराली संग्रह का अभियान संचालित किया जाए। जनपदों में अच्छी गौशालाओं को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया जाए। गौशालाओं में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगवाये जाए। अवस्थापना के कार्यों को समय से पूर्ण किया जाए और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। पशुओं को संक्रामक रोग से बचाने और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु टीकाकरण कार्य नियमित रूप से किया जाए। लघु पशु योजनाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि छोटे किसान और पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके। पशुधन एवं दुग्ध उपार्जन में वृद्धि के लिए कृत्रिम गर्भाधान एवं नस्ल सुधार कार्यक्रमों के लक्ष्यों को निर्धारित अवधि के अंदर पूरा किया जाए।
दुग्ध विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में दुग्ध समितियों की समीक्षा की जाए। मुख्यालय से अधिकारी जनपदों में जाये और समितियों की बैठक कराए। जिन समितियों में जो भी समस्या आ रही है उसका तत्काल निदान करें और शासन को अवगत कराए। बंद दुग्ध समितियों को क्रियाशील कराया जाए। डीपीएमसीयू के फोटोग्राफ एवं सर्टीफिकेट भी मंगाये जाए, ताकि वास्तविक स्थिति की पूर्ण जानकारी हो सके। किसानों के दुग्ध मूल्य का भुगतान नियमित रूप से किया जाए और एक सप्ताह के भीतर ही भुगतान सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश के किसानों को दूसरे प्रदेशों में भ्रमण कराया जाए ताकि उन्हें दुग्ध उत्पादन की नवीन तकनीकों और गतिविधियों की जानकारी हो सके और वे प्रदेश में नवाचार को अपना सकें। किसानों एवं पशुपालकों के लिए प्रशिक्षण के माध्यम से उन्नयन कार्यक्रम भी आयोजित किये जाए। अधिकारियों को समयबद्ध रूप से भूसा टेंडर कार्य पूर्ण करने, पशु आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने, गौशालाओं में सभी आवश्यक व्यवस्थायें करने, टीकाकरण कार्यों, दुग्ध संघों की समीक्षा करने तथा किसानों एवं पशुपालकों को दुग्ध मूल्य का भुगतान नियमित रूप से एक सप्ताह के भीतर करने के सख्त निर्देश दिए। योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की उदासीनता एवं लापरवाही शासन स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगी और संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी।




















































































