एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका ने बढ़ाई फीस, अब 88 लाख रुपये तक खर्च; भारतीय IT प्रोफेशनल्स पर सबसे ज्यादा असर

अमेरिकी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एच-1बी वीजा को लेकर बड़ा आदेश जारी कर दिया है। ट्रंप ने H1-B वीजा की सालाना फीस को लेकर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस नए आदेश के मुताबिक, एच-1बी वीजा की फीस को एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया गया है। ट्रंप के इस फैसले को अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर बड़ा असर पड़ सकता है। बता दें कि एच-1बी वीजा पर बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिका में कार्यरत हैं।
इस कदम के पीछे व्हाइट हाउस दे रहा ये दलील
राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले को लेकर व्हाइट हाउस ने प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ का कहना है कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करने और वीजा प्रणाली के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि एच-1बी दुनिया का सबसे दुरुपयोग किया जाने वाला वीजा है। ऐसे में अब अमेरिका में सिर्फ वही लोग आएंगे, जो वास्तव में अत्यधिक कुशल हैं और उनकी जगह अमेरिकी कर्मचारी नहीं ले सकते।
भारतीय होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
अमेरिका के इस कदम से वहां रहने वाले भारतीय सर्वाधिक प्रभावित होंगे। इस बदलाव से अमेरिका में भारतीय आईटी इंजीनियरों की नौकरियों पर खतरा आएगा। वित्त वर्ष 2023-24 में दो लाख से ज्यादा भारतीयों ने एच-1बी वीजा हासिल किया था। भारत पिछले साल एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 से 2023 के बीच स्वीकृत वीजा में 73.7 फीसदी वीजा भारतीयों के थे। चीन 16 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था। कनाडा 3% के साथ तीसरे स्थान पर, उसके बाद ताइवान (1.3%), दक्षिण कोरिया (1.3%), मैक्सिको (1.2%) और नेपाल, ब्राजील, पाकिस्तान और फिलीपींस (सभी 0.8%) हैं।
कंपनियों के सामने ये बड़ी चुनौती
ऐसे में अब नए आदेश के मुताबिक, विदेशी पेशेवरों को काम पर रखने वाली कंपनियों को हर साल सरकार को 1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा। यह तीन साल की वीजा अवधि और उसके रिन्यूअल में भी लागू होगा। यानी यदि ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया लंबी होती है, तो कंपनियों को कई वर्षों तक यह बड़ी फीस चुकानी होगी। ऐसे में कंपनियां भारतीय कर्मचारियों को रखने से बच सकती हैं और अमेरिकी युवाओं को नौकरी देने को प्राथमिकता दे सकती हैं।
पेशेवरों के लिए वीजा पाना कठिन होगा
वीजा प्रक्रिया में बदलाव का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। नई नीति से कम वेतन वाली नौकरियों के लिए वीजा मुश्किल होगा, जिससे भारतीय पेशेवरों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी। ये बदलाव भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी शिक्षा को कम आकर्षक बना सकता है। इस बदलाव से इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियों पर बड़ा असर पड़ेगा। जो परंपरागत रूप से एच-1बी वीजा का उपयोग जूनियर और मिड-लेवल इंजीनियरों को अमेरिकी क्लाइंट प्रोजेक्ट्स और स्किल डेवलपमेंट के लिए भेजने में करती रही हैं।
सॉफ्टवेयर/टेक उद्योग पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
फाउंडेशन ऑफ इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के खोंडेराव ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इसका अमेरिकी टेक उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, एच-1बी वीजा के लिए 100,000 डॉलर की फीस बेहद दुर्भाग्यपूर्ण नीति है। इसका सॉफ्टवेयर/टेक उद्योग पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह फैसला खासतौर पर स्टार्ट-अप्स और छोटे टेक कंपनियों के लिए नवाचार और प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाएगा।