बरेली। श्रावण मास के आरंभ होते ही सुभाषनगर क्षेत्र के ऐतिहासिक श्री तपेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगती है। भोलेनाथ के दर्शनों और जलाभिषेक के लिए भोर से ही श्रद्धालुओं की कतारें लग जाती हैं। मंदिर परिसर “बम बम भोले” और “हर हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठते है। मंदिर के महंत पंडित विशन शर्मा ने बताया सुभाषनगर क्षेत्र में बने श्री तपेश्वर नाथ मंदिर कभी ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा। सात नाथ मंदिरों में से एक श्री तपेश्वर नाथ मंदिर शहर बसने से पहले से स्थापित है। इस मंदिर से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। सावन के महीने में श्री तपेश्वर नाथ मंदिर में हजारों भक्त पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जिस जगह पर श्री तपेश्वर नाथ मंदिर है, वहां सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा बहती थी। घने बांस के जंगल के बीच पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग प्रकट हुआ था। सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां आए भालू बाबा ने 400 वर्ष तक कठोर तप की । उनके बाद कई और संत आए और तपस्या का क्रम बना रहा। इसी के चलते मंदिर श्री तपेश्वर नाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इन संतों ने की यहां तपस्या मंदिर के महंत पंडित विशन शर्मा ने बताया कि भालू बाबा के बाद उनके शिष्य बाबा राम टहल दास ने यहां 150 वर्ष तपस्या की, फिर उनके शिष्य बाबा मुनीश्वर दास ने भी 150 साल तपस्या में गुजारे। बाद में बाबा राम गोपाल दास, राम लखन दास व धूम ऋषि के शिष्यों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। यह एक सिद्ध पीठ भी है। मंदिर के महंत ने बताया कि यह ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धा भाव से आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। परिसर में भोले बाबा सहित ठाकुर जी, राधा-कृष्ण, राम-जानकी, लक्ष्मी-नारायण, पंचमुखी बालाजी, दक्षिणमुखी हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां गोशाला भी है और संत सेवा भी होती है। श्रावण मास के महीने में सुबह 3 बजे से ही भक्तों की लाइने लगना शुरू हो जाती हैं पुलिस प्रशासन का पूरा सहयोग रहता हैं।