राजधानी में भीषण गर्मी से बेजुबान परिंदों की सांसें टूटीं: हर दिन दर्जनों पक्षी हीट स्ट्रोक का शिकार

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली और एनसीआर में लगातार बढ़ रही गर्मी का कहर अब इंसानों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि बेजुबान पशु-पक्षी भी इसकी चपेट में आ गए हैं। तपती धूप, लू और भीषण तापमान ने पक्षियों के जीवन पर संकट खड़ा कर दिया है। आलम यह है कि उड़ते हुए पक्षी आसमान से सीधे जमीन पर गिर रहे हैं। अनेक पक्षी अपने घोंसलों तक नहीं पहुंच पा रहे और कई तो दम तोड़ दे रहे हैं।
गर्मी से फैल रहा डायरिया और सूखा रोग
हीट स्ट्रोक से पीड़ित पशु-पक्षी डायरिया और सूखा रोग जैसी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। अत्यधिक गर्मी और लू के कारण उनका खानपान प्रभावित हो गया है, जिससे शरीर में कमजोरी बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के कारण शरीर में पानी, ग्लूकोज और विटामिन की कमी तेजी से हो रही है, जिससे पक्षी उड़ने तक में असमर्थ हो रहे हैं।
हर दिन बढ़ रहे हैं बीमार पक्षियों के मामले
दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों से रोजाना 70 से 80 घायल पक्षियों को इलाज के लिए लाया जा रहा है। चांदनी चौक स्थित दिगंबर जैन लाल मंदिर के धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय में बीमार और जख्मी परिंदों की भीड़ लगी रहती है। डॉक्टरों के मुताबिक, पक्षियों के इलाज के मामलों में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, हर दिन 2 से 4 पक्षी ऐसे होते हैं, जो अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।
कबूतर, चील, कौए सबसे अधिक प्रभावित
गर्मी से बीमार होने वाले पक्षियों में सबसे ज्यादा कबूतर, चील और कौए शामिल हैं। ये आमतौर पर शहरों में पाए जाने वाले पक्षी हैं जो गर्मी के कारण उड़ान भरने की क्षमता खोते जा रहे हैं। कई बार वे उड़ान के दौरान ही गिरकर घायल हो जाते हैं।
पक्षियों के लिए खतरे की सीमा 35 डिग्री से ऊपर
डॉ. हरअवतार सिंह ने बताया कि 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पक्षियों के लिए घातक साबित होता है। गर्मी के कारण उन्हें विटामिन, खनिज और पानी की कमी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे अस्पताल में भर्ती होने वाले पक्षियों की संख्या भी बढ़ रही है।
कैसे करें पक्षियों की मदद?
डॉ. सिंह ने सलाह दी है कि यदि किसी को गर्मी से घायल पक्षी दिखाई दे, तो सबसे पहले उस पर ठंडे पानी का छिड़काव करें। उनके पंजों को कुछ देर के लिए ठंडे पानी में डुबो दें और फिर उन्हें छांव या किसी ठंडी जगह पर रखें, जहां हवा का प्रवाह अच्छा हो।