विदेशी कंपनियों को ईवी निवेश पर मिलेगी आयात शुल्क में बड़ी राहत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के क्षेत्र में स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से ईवी आयात पर टैक्स में भारी छूट देने की घोषणा की है। इसके तहत जो विदेशी वाहन निर्माता कंपनियां भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी, उन्हें विशेष छूट दी जाएगी।
सिर्फ 15% टैक्स पर मंगाई जा सकेंगी 8,000 ईवी
नई ईवी नीति के अनुसार, विदेशी कंपनियों को 8,000 इलेक्ट्रिक कारें सिर्फ 15 फीसदी आयात शुल्क देकर भारत में मंगाने की अनुमति दी जाएगी।
फिलहाल इन कारों पर 70% से लेकर 100% तक टैक्स लगता है, जो कार की कीमत और इंजन क्षमता पर निर्भर करता है। लेकिन विनिर्माण संयंत्र के निवेश के बदले में यह टैक्स घटाकर केवल 15% कर दिया गया है।
🔹 निवेश की शर्तें और उत्पादन की समयसीमा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कंपनियों को इस छूट का लाभ उठाने के लिए कुछ अहम शर्तों का पालन करना होगा:
- 3 साल के भीतर भारत में ईवी विनिर्माण संयंत्र शुरू करना होगा।
- निर्माण प्रक्रिया में एक निश्चित प्रतिशत तक स्थानीय सामग्री (लोकल कंटेंट) का उपयोग करना जरूरी होगा।
- यह नीति ‘भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना’ के तहत लाई गई है।
🔹 आवेदन प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
भारी उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को इस योजना के आधिकारिक नियम जारी कर दिए हैं। अब देश-विदेश की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियां इस योजना के तहत आवेदन कर सकेंगी।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक:
- आवेदन प्रक्रिया अगले कुछ हफ्तों में शुरू की जा सकती है।
- यह प्रक्रिया कम से कम 120 दिनों तक खुली रहेगी।
- इसके बाद आवेदनकर्ताओं की निवेश योजना, तकनीकी क्षमता और समयसीमा के आधार पर मूल्यांकन कर मंजूरी दी जाएगी।
🔹 महंगी ईवी कारों के लिए मिलेगा 5 साल तक टैक्स छूट का लाभ
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि योजना के तहत 35,000 डॉलर या उससे अधिक कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारें ही आयात छूट का लाभ उठा सकेंगी।
मंजूरी मिलने के बाद कंपनियों को 5 साल तक इस टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। इस दौरान कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू कर देना होगा और नीति की शर्तों का पालन करना होगा।
🔹 वैश्विक कंपनियों के लिए भारत बन रहा है आकर्षक बाजार
सरकार के इस फैसले से स्पष्ट है कि वह भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के वैश्विक निर्माण हब के रूप में स्थापित करना चाहती है। यह नीति टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों को भी भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
भारत सरकार का उद्देश्य न केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करना है, बल्कि देश में ग्रीन मोबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष:
सरकार की यह नई ईवी नीति भारत में स्थानीय रोजगार, तकनीकी विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल है। यदि वैश्विक कंपनियां इस अवसर का लाभ उठाती हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो सकता है।