भगवान राम ने हर कार्य में मर्यादा को सर्वोपरि रखते हुये हर व्यक्ति का मान रखा

बरेली। प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटीनाथ महादेव मंदिर में आयोजित रामचरितमानस कथा के नवम् दिवस सुविख्यात कथा ऋषि पं उमाशंकर व्यास ने भरत चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसको अपनी माता से समस्त भौतिक सुख अर्थात राज पाठ प्राप्त हुआ हो परंतु भगवत कृपा तथा भक्त को सर्वोपरि मानते हुये उसको केवल अपने बड़े भाई की धरोहर के रूप में भाई की आज्ञा को शिरोधार्य करते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि प्रभु राम के सभी भक्त प्रभु के निज दास स्वरूप होना चाहते हैं। भक्तों का यह भाव कि प्रभु उन्हें अपनी निज भक्ति प्रदान करें। कथा व्यास बताते हैं कि प्रभु सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं तथा उनके हर कार्य पूर्ण करते हैं। इसके साथ ही प्रभु सदैव यह चाहते हैं कि मेरे भक्तों के अंदर अगर कोई कमी है वह उनमें से दूर हो जाए और उनके अंदर सदैव अच्छाई का भाव ही रहे। कथा व्यास कहते हैं कि भरत ने इसी हनुमान से पूछा की रघुवंश के भूषण राम क्या कभी अपने दास की भांति मेरा स्मरण करते रहे हैं। भरत के अत्यंत नंम्र वचन सुनकर हनुमान पुलकित होकर उनके चरणों पर गिर पड़े और अपने मन में यह विचार करने लगे जो सारे जगत के स्वामी हैं वे रघुवीर अपने मुख से जिन भरत के गुण समूह का वर्णन करते हैं ऐसे विनम्र भरत परम पवित्र और सद्गुणों के समुद्र हैं। कथा व्यास कहते हैं कि हनुमान ने भरत से कहा कि आप तो राम को उनके प्राणों से अधिक प्रिय है और आप मेरा विश्वास करें कि यह सत्य है। हनुमान के वचन सुनकर भरत को हृदय से बहुत हर्ष होता है और वे उनसे बार-बार गले मिलते हैं। कथा व्यास कहते हैं कि भरत ने राम को अपना स्वामी और अपना सर्वस्व माना तथा राजपाठ के सामने प्रभु के चरणों की सेवा को सब कुछ माना। इसलिए जीवन में हमें भरत के समान निर्मल और सरल भाव रखना चाहिए तथा प्रभु के प्रति अपनी आसक्ति प्रबल रखना चाहिए। कथा व्यास कहते हैं कि रामचरितमानस ज्ञान रूपी अथाह गहरे समुद्र की भान्ति है जहां मर्यादा, प्रेम और विश्वास को अपने जीवन में समाहित करने की प्रेरणा मिलती है।भगवान राम ने हर कार्य में मर्यादा को सर्वोपरि रखते हुये हर व्यक्ति का मान रखा चाहें वह कोई अपना हो अथवा विरोधी अत:इसलिए भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं। कथा व्यास ने सभी सनातन प्रेमियों से आवाहन किया कि आज इस बात की परम आवश्यकता है कि हम अपने बच्चों को सनातन धर्म के बारें पढ़ने और जानने के लिए प्रेरित करें। अभी तकहमारा वैभवशाली भारतवर्ष का इतिहास है उसके बारे में भारतवासियों को जानकारी उतनी नहीं है जितनी होनी चाहिये। बाबा त्रिवटीनाथ मंदिर सेवा समिति के प्रताप चन्द्र सेठ ने आज रामचरितमानस कथा के गौरवशाली ३३वें सफलतम और निरंतर आयोजित किये जाने वाले सत्र के विश्राम दिवस के लिये कथा ऋषि पं उमाशंकर व्यास का मन्दिर सेवा समिति की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया। कथा के उपरांत काफी संख्या में भक्तों ने रामचरितमानस की आरती में भाग लिया तथा प्रसाद वितरण हुआ। आज की कथा में मंदिर सेवा समिति के प्रताप चंद्र सेठ, मीडिया प्रभारी संजीव औतार अग्रवाल ,सुभाष मेहरा, हरिओम अग्रवाल का मुख्य सहयोग रहा।