शाहजहांपुर। मुमुक्षु महोत्सव में चल रही रामकथा के पांचवें दिन कथाव्यास श्री विजय कौशल जी महाराज ने भगवान राम के जन्म का प्रसंग बड़े ही मनोयोग से सुनाया। “श्री राम जय राम जय जय राम..” भजन की संगीतमय प्रस्तुति से श्रोता भाव विभोर होकर झूमने लगे। कथाव्यास ने सुनाया कि जब रावण का पुत्र मेघनाथ पिता की आज्ञा से पूरे ब्रह्मांड में धर्म के विनाश की लीला करने लगा तो सभी देवता त्राहिमाम त्राहिमाम करते हुए ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी के कहने पर उन्होंने भगवान को प्रेमपूर्वक पुकारा। उनकी पुकार सुनकर भगवान बोले कि आप सब धैर्य रखिए एवं प्रतीक्षा करिए, जल्द ही हम अवधपुरी में अवतरित होकर धरती के सभी असुरों का विनाश करेंगे। इसके बाद कथा व्यास ने राजा दशरथ का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि लंबे समय तक पुत्रप्राप्ति न होने से राजा दशरथ काफी चिंतित हो गए। तब उन्हें वशिष्ठ मुनि ने समझाया कि राजन आप धैर्य रखें, आपके यहां एक नहीं अपितु चार-चार तेजस्वी पुत्रों का आगमन होगा। इसके बाद गुरु वशिष्ठ एवं श्रृंगी मुनि ने पुत्र प्राप्ति यज्ञ का अनुष्ठान किया एवं यज्ञ का प्रसाद राजा दशरथ ने तीनों रानियों को दिया। प्रसाद ग्रहण करते ही प्रभु अपने अंशों सहित तीनों रानियों के गर्भ में आ विराजे और कुछ समय बाद भगवान श्रीराम ने अवधपुरी में भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण सहित अवतार लिया। प्रभु का जन्म होते ही पूरी अवधपुरी में बधाइयां बजने लगीं और उल्लास का माहौल छा गया। इसके बाद कथाव्यास ने शिव जी के द्वारा भगवान श्री राम के दर्शन हेतु जाने का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब भगवान शिव ने प्रभु श्री राम के दर्शन किए तो प्रभु हंस पड़े और शिवजी रोने लगे। कथा व्यास ने कहा कि माता-पिता और गुरु के चरणों से ही आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि मां का स्थान सर्वोपरि है क्योंकि प्रसव पीड़ा जैसी पीड़ा कोई नहीं होती। कथा का समापन आरती के साथ हुया। आरती में रामचंद्र सिंघल, उमा सिंघल, डॉ हरीश रौतेला, रवि मिश्रा एडवोकेट, डॉ सत्य प्रकाश मिश्रा, वेद प्रकाश गुप्ता, सुरेंद्र सेठ, सचिन बाथम, संतोष मिश्रा एवं प्रेमा मिश्रा, अशोक अग्रवाल एवं निर्मला अग्रवाल, एसएस कॉलेज के प्राचार्य प्रो आर के आजाद एवं रश्मि आजाद उपस्थित रहे। प्रसाद वितरण में संजीव बंसल एवं श्रीमती कल्पना बंसल का योगदान रहा। कथा के दौरान रोहित सिंह, डॉ रमेश चंद्रा, डॉ शालीन सिंह, डॉ आलोक मिश्रा, रामलखन सिंह, प्रकाश डबराल, डा. राम निवास गुप्ता, चंद्रभान त्रिपाठी,आदि का सहयोग रहा। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।