शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम में रामकथा में उमड़ी राम भक्तों की भारी भीड़

शाहजहांपुर। मुमुक्षु महोत्सव में आज दूसरे दिन स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज में चल रही रामकथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ कथा का अमृत पान करने के लिए उमड़ पड़ी। कथाव्यास विजय कौशल जी महाराज ने इस अवसर पर शिव सती प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब माता सती सीता जी का भेष धारण करके प्रभु श्रीराम की परीक्षा लेने पहुंची तो प्रभु ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और उन्हें प्रणाम किया। भेद खुल जाने पर माता सती लज्जित होती है और अंतरध्यान होकर भगवान शंकर के पास पहुंचती हैं। भगवान शिव उनके इस कृत्य से असंतुष्ट होकर कैलाश की ओर चल पड़ते हैं और अखंड समाधि में लीन हो जाते हैं। कथा व्यास ने आगे सुनाया कि जब सती के पिता दक्ष यज्ञ के अनुष्ठान में सभी देवताओं को आमंत्रित करते हैं किंतु भगवान शिव को नहीं, तो सती इस पर अत्यंत क्रोधित होकर यज्ञ में ही अपना जीवन समाप्त कर लेती हैं। सती की यह दशा देखकर भगवान शिव को भी क्रोध आता है और वे दक्ष का सिर काट लेते हैं। बाद में देवताओं की अनुनय विनय पर वे बकरे का सिर लगाकर दक्ष को जीवनदान देते हैं। इसके उपरांत संत विजय कौशल जी ने भगवान श्रीकृष्ण एवं उनके मित्र सुदामा का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने सारी मर्यादाओं को छोड़कर अपने बचपन के सखा सुदामा की मदद की, किंतु उनसे कहा कि जो मुझसे दूर जाता है उसकी दशा ऐसी ही हो जाती है।

कथा व्यास ने सुनाया की सती पार्वती के रूप में जन्म पाकर भगवान शिव को पाने के लिए घर तपस्या करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के पास विवेक के रूप में तीसरा नेत्र पाया जाता है। उन्होंने कहा- “बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिन सुलभ न सोई”। कथा के समापन पर आरती रवि गोयल एवं उनकी पत्नी संगम गोयल ने की। प्रसाद वितरण में डॉ आलोक सिंह एवं विवेक गुप्ता का योगदान रहा। कथा के दौरान मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती, स्वामी अभेदानंद, स्वामी सर्वेश्वरानंद, स्वामी हरिदास, सुरेश सिंघल, संजीव बंसल, डॉ सत्य प्रकाश मिश्र, अशोक अग्रवाल, उमा अग्रवाल, कृष्ण अग्रवाल, दिनेश मिश्रा, नरेश मेहरोत्रा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।आयोजन में डॉ रामनिवास गुप्ता,डॉ कमलेश गौतम ,डॉ अरुण यादव, डा. शिशिर शुक्ला, डॉ मधुकर श्याम शुक्ला डॉ मीना शर्मा डॉ विनीत श्रीवास्तव आदि का विशेष सहयोग रहा।