बरेली । नगर निगम द्वारा करदाताओं को भेजे जा रहे गलत और भारी-भरकम बिलों को लेकर स्थानीय निवासियों और पार्षदों ने मंडल आयुक्त से शिकायत की है। करदाताओं को अचानक पिछले वर्षों के एरियर (बकाया) के भारी बिल भेजे जा रहे हैं, जिनमें चालू मांग से कहीं अधिक रकम और उस पर ब्याज शामिल है। करदाताओं का कहना है कि उन्हें पहले कभी कोई नोटिस या बिल नहीं मिला, लेकिन अचानक उन पर पिछले वर्षों का कर लगा दिया गया है। जब करदाता नगर निगम कार्यालय जाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं, तो उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाता। नगर निगम न तो यह बताता है कि कर कब से लगाया गया है और न ही गलत बिलों का संशोधन करता है। इससे न केवल नगर निगम की वसूली प्रभावित हो रही है, बल्कि करदाताओं को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसी समस्या को लेकर पार्षद राजेश अग्रवाल ने 88 वर्षीय बुजुर्ग मोहन राम, जो सिद्धार्थ नगर (एयर फोर्स के सामने) के निवासी हैं, को लेकर मंडल आयुक्त के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने मंडल आयुक्त को बताया कि मोहन राम पर 88,057 रुपए का एरियर बिल भेजा गया है, जबकि उन्हें पहले कभी कोई नोटिस या बिल नहीं मिला। नगर निगम ने मोहन राम का वर्तमान वर्ष का गृह कर 1,250 रुपए प्रति वर्ष लगाया है, जबकि पिछले वर्षों का कर 4,500 रुपए प्रति वर्ष लगाया गया है। यदि पिछले वर्षों का कर भी 1,250 रुपए प्रति वर्ष लगाया जाता, तो उनका एरियर 88,000 रुपए के बजाय केवल 30,000 रुपए होता। पार्षद राजेश अग्रवाल ने मंडल आयुक्त को नगर निगम की एरियर प्रणाली और करदाताओं के साथ हो रहे उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताया। मंडल आयुक्त ने मोहन राम के एरियर बिल और अन्य करदाताओं की समस्याओं की जांच करने का आश्वासन दिया है। यह मामला नगर निगम की प्रशासनिक लापरवाही और करदाताओं के साथ हो रहे अन्याय को उजागर करता है। करदाताओं को उचित सूचना और पारदर्शिता के साथ बिल भेजे जाने चाहिए, ताकि उन्हें अनावश्यक परेशानी न झेलनी पड़े। मंडल आयुक्त के हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि इस समस्या का समाधान होगा और करदाताओं को न्याय मिलेगा।