उझानी। माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोर से ही कछला गंगा घाट, अटैना, ककोड़ा और भुंडी घाट पर स्नान और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत वातावरण में गंगा तटों पर भक्तों की भीड़ के कारण मेले जैसा दृश्य बन गया। माघ पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर गंगा तटों पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। पुराणों के अनुसार, माघ मास में गंगा स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर भगवान विष्णु और शिव की आराधना करते हैं। कछला गंगा घाट पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालु स्नान करने के बाद पूजा-पाठ और दान-पुण्य में लीन दिखे। घाट पर जगह-जगह यज्ञ, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। कई श्रद्धालुओं ने गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान कर पुण्य अर्जित किया। कछला गंगा घाट पर पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। गोताखोर और नाविकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए थे। मेडिकल कैंप और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था की गई थी। वाहनों की पार्किंग के लिए विशेष स्थान चिन्हित किए गए थे। कछला के अलावा अटैना, ककोड़ा और भुंडी घाट पर भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। इन घाटों पर भी भव्य आयोजन किए गए। गंगा किनारे संत-महात्माओं ने प्रवचन दिए, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव हुआ। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। पुलिस बल तैनात किया गया ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। गोताखोरों और बचाव दल को गंगा नदी के किनारे अलर्ट पर रखा गया। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद गंगा जल को अपने घरों में ले जाने के लिए पात्रों में भरा। कई भक्तों ने गंगा की आरती की और दीपदान किया। इस दौरान “हर हर गंगे” और “गंगा मैया की जय” के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे स्वच्छता बनाए रखें और गंगा में प्लास्टिक या अन्य अपशिष्ट पदार्थ न डालें। घाटों पर सफाई अभियान चलाया गया ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।