रायबरेली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर थे। इस दौरान उनके तेवर काफी सख्त नजर आए। उन्होंने जिले की विकास योजनाओं को लेकर बैठक की। हालांकि, यूपी में नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर वह कुछ भी नहीं बोले। पिछले छह माह में पहली बार ऐसा हुआ कि राहुल गांधी रायबरेली में आने के बाद प्रदेश के राजनीतिक माहौल पर बिना बोले चले गए। असल में उनके एजेंडे में महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव है। इसकी झलक बुधवार को दिखी। नागपुर में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने दिशा की बैठक के दौरान रायबरेली के प्रशासनिक अधिकारियों के परिचय से जुड़ी बात को रखा। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी खेमों में गहमागहमी बढ़ी हुई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत इस राज्य से हासिल की थी तो ऐसे में विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस लीड लेने के लिए होमवर्क कर रही है। इसी को देखते हुए बुधवार को सांसद राहुल गांधी नागपुर स्थित दीक्षाभूमि पहुंचे। यहां आयोजित संविधान सम्मान सम्मेलन के दौरान रायबरेली सांसद ने भगवान बुद्ध को श्रद्धासुमन अर्पित किए तथा डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद किया। न्याय का अधिकार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कल मैं रायबरेली में था। हमारी एमपी की मीटिंग होती है। दिशा बैठक होती है। मैं उसमें गया गलती से मैंने कह दिया कि सब अफसर अपना परिचय दें। जब परिचय शुरू हुआ तो उसमें मुझे एक दलित नाम, एक ओबीसी नाम नहीं सुनाई पड़ा। इस पर मैंने अपने सेक्रेटरी से कहा कि इन सब के नाम निकालवाओं और पता लगाओ कि रायबरेली में कितने ओबीसी, कितने दलित और कितने आदिवासी अफसर हैं। मुझे पता चला कि 80 प्रतिशत अधिकारी एक दो समुदाय के हैं।राहुल गांधी ने कहा कि कभी-कभी गंगाराम अस्पताल चला जाता हूं तो वहां दलित, आदिवासी, और ओबीसी डॉक्टर मिल जाए। मैं उन्हें ढूंढता हूं। कार्पोरेट इंडिया में देखता हूं। 500 कंपनियां हैं उनके मालिकों में दलित, ओबीसी और आदिवासी नहीं हैं। मोदी जी ने कार्पोरेट का 16 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ किया इनमें दलित, ओबीसी और आदिवासी नहीं हैं। आप हाईकोर्ट देख लीजिए और बड़े-बड़े अफसर देख लीजिए उनमें 90 प्रतिशत हिंदुस्तान नहीं दिखेगा।