राजेश कुमार पब्लिक स्कूल में गणेश शंकर विद्यार्थी जयंती समारोह धूमधाम से मनाया
चंदौसी। महापुरुष स्मारक समिति एव सर्व समाज जागरूकता अभियान भारत के संयुक्त तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी एवं निडर पत्रकार, लेखनी से ब्रिटिश शासन की नींव हिलाने वाले क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी का जयंती समारोह राजेश कुमार पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि/ मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।अध्यक्षता राजेश कुमार (प्रधानाचार्य) ने की संचालन प्रियंका गुप्ता ने किया। व्यवस्थापक सलोनी और उपासना रहीं। विशिष्ट अतिथि प्रमोद कुमार शर्मा (मीडिया प्रभारी सर्व समाज जागरूकता अभियान, जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, सामाजिक कार्यकर्ता)प्रमोद कुमार गुप्ता (प्रबंधक मनोकामना इंटर कालेज), गेंदन लाल (पूर्व प्रधानाध्यापक), एन के शर्मा (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी), हेमन्त कुमार गुप्ता (सामाजिक कार्यकर्ता), दीपेन्द्र नाथ गुप्ता, हरी सिंह यादव (पूर्व सब इंस्पेक्टर), वेदराम मौर्य (पूर्व प्रधान पलथा ), श्री मति वर्षा गर्ग (कार्यवाहक प्रधानाचार्य), शुभम (इंजीनियरिंग छात्र), प्रवीण वार्ष्णेय, निधि ठाकुर, रजनी वार्ष्णेय,अनमोल, श्री मति ज्योति शर्मा, बेबी, किरन मौर्य, आरती वार्ष्णेय, जया रानी रहीं। आयोजक पण्डित सुरेश चंद्र शर्मा रहे। मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कलम की ताकत हमेशा तलवार से अधिक रही है। गणेश शंकर विद्यार्थी ने कलम की ताकत से ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी। गणेश शंकर विद्यार्थी निडर और निष्पक्ष पत्रकार, समाजसेवी,स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में उनका नाम अजर अमर है। स्वतंत्रता संग्राम के समय जिन पत्रकारों ने अपनी लेखनी को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी उनमें सबसे ऊपर गणेश शंकर विद्यार्थी का नाम आता है। गरीबों की छोटी से छोटी परेशानी को वह अपनी कलम की ताकत से दर्द की कहानी में बदल देते थे। गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपनी लेखनी की ताकत से ब्रिटिश हुक़ूमत की नींद उड़ा दी। उन्होंने जीवन भर उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। निडर, निष्पक्ष पत्रकारिता किस तरह की जा सकती है इसकी प्रेरणा गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन से मिलती है। वह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो महात्मा गांधी जी के अहिंसक आंदोलन और क्रान्तिकारियों के लड़ने में योगदान प्रदान करते थे। उन्होंने पत्रकारिता के जरिए ब्रिटिश सरकार के अलावा देश के जमींदारों को भी निशाने पर लिया। जमींदार गरीबों का शोषण अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर करते थे। गणेश शंकर विद्यार्थी जी का दफ्तर क्रान्तिकारियों की शरण स्थली था और युवाओं के लिए पत्रकारिता का प्रमुख केंद्र। उनके जोश भरे लेखन ने क्रांतिकारी आंदोलन को जन आंदोलन बना दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि माधव मिश्र ने आगे कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म २६अक्टूबर १८९०को प्रयागराज (इलाहाबाद) के अतरसुइया मौहल्ले में हुआ। आपके पिता जयनारायण थे और माता गोमती देवी थीं। पिता मुंगावली रियासत के स्कूल में हेड मास्टर थे, उनका बचपन पिता के पास बीता। प्रारम्भिक शिक्षा मुंगावली में उर्दू में प्राप्त की। भेलसा से अंग्रेज़ी माध्यम में मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। आगे की पढ़ाई इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला से की, इसी समय उनका झुकाव पत्रकारिता की ओर हुआ। उन्होंने अपना उपनाम विद्यार्थी रखा। मशहूर लेखक सुंदर लाल शर्मा के साथ साप्ताहिक कर्मयोगी के संपादन में सहयोग किया।१९०८ में वह कानपुर आए और करेंसी ऑफिस में तीस रुपए प्रतिमाह पर नौकरी करने लगे। अंग्रेज अफसर से बहस होने के बाद यह नौकरी छोड़ दी।
१९१०में कानपुर के पृथ्वी नाथ हाइस्कूल में अध्यापन कार्य किया। इसी दौरान कर्मयोगी, स्वराज, हितवार्ता, सरस्वती, अभ्युदय में लेख लिखे। महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके लेखों से बहुत प्रभावित हुए और १९११में सरस्वती में संपादन कार्य में सहयोग का प्रस्ताव दिया , विद्यार्थी जी ने सरस्वती में संपादन कार्य किया। ०९नवंबर १९१३में विद्यार्थी जी ने कानपुर में क्रांतिकारी तेवर वाला साप्ताहिक “प्रताप”की शुरुआत की जिसकी ज़्यादा मांग पर बाद में इसे दैनिक प्रकाशित किया गया। विद्यार्थी जी ने प्रताप के माध्यम से गरीब किसान, मजदूरों, मिल मजदूरों के शोषण को उजागर किया। क्रांतिकारी पत्रकारिता के कारण बहुत कष्ट झेलने पड़े। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कई बार गिरफ्तार कर जेल में डाला और भारी जुर्माना लगाया।१९१६ में महात्मा गांधी जी से मुलाकात के बाद पूरा जीवन स्वतंत्रता आंदोलन के नाम कर दिया। चंपारण सत्याग्रह,खेड़ा संघर्ष ,असहयोग आंदोलन तथा अन्य आंदोलनों पर उनकी लेखनी मुखर रही।१९१७ से १९१८में होम रुल आंदोलन में शामिल हुए, उन्होंने कपड़ा मिल कानपुर के मजदूरों की हड़ताल का भी नेतृत्व किया। वह यूनाइटेड प्रोविंस कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी चुने गए,१९२६ में विद्यार्थी विधान परिषद सदस्य चुने गए १९२९में सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था । वह नौ मार्च १९३१ को दो साल बाद जेल से रिहा हुए थे तभी कानपुर में हिंदू मुस्लिम दंगे छिड़ गए जिसमें विद्यार्थी जी ने डेढ़ सौ से दो सौ लोगों को बचाया था लेकिन २५ (पच्चीस )मार्च १९३१को लोगों को बचाते हुए उनका दंगाइयों की भीड़ में कानपुर में बलिदान हो गया। तब गांधी जी ने कहा था मुझे गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह लोगों को बचाते हुए मौत मिलती तो मुझे गर्व महसूस होता। अध्यक्षता करते हुए राजेश कुमार, संचालक श्री मति प्रियंका गुप्ता, विशिष्ट अतिथि प्रमोद कुमार शर्मा (मीडिया प्रभारी सर्व समाज जागरूकता अभियान भारत, जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, सामाजिक कार्यकर्ता, विभिन्न संगठनों के नेतृत्व करने वाले),प्रमोद कुमार गुप्ता, गेंदन लाल, एन के शर्मा, हेमंत कुमार गुप्ता, दीपेन्द्र नाथ गुप्ता, हरी सिंह यादव, वेदराम मौर्य, श्री मति वर्षा गर्ग, इंजीनियर छात्र शुभम, प्रवीण वार्ष्णेय, निधि ठाकुर, रजनी वार्ष्णेय, अनमोल ,श्री मति ज्योति शर्मा, बेबी, किरन मौर्य, आरती वार्ष्णेय, जया रानी, सलोनी, उपासना ने विचार व्यक्त किए। वर्तिका शर्मा, शगुन, प्राची ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ।