बरेली। खानकाहे नियाज़िया में 20 को छोटा चिरागा, 21 अक्टूबर बड़ा चिरागा व महबूबीन का उर्स विश्व विख्यात सूफी दरबार तमाम सूफी सिसिलों का केन्द्र खानकाहे नियाज़िया में तीन सौ साल पुरानी पाकीजा रस्म जश्न-ए-चिरागा व उर्स-ए-महबूबीन इस साल इस्लामी केलेन्डर की 16 व 17 रबीउस्सानी जो 20 और 21 अक्टूबर को बड़ी अकीदत्त और ऐहतेराम के साथ खानकाहे नियाज़िया में मनाया जायेगा। खानकाहे नियाज़िया जो की तमाम तकरीबात (कार्यक्रम) कौमी एकता विश्व शान्ति और इन्सानियत का जिन्दा अमली पैगाम आम पेशकरता चली आ रही है। खानकाहे नियाज़िया का पूरे विश्व में महत्व इसी वजह से है कि यहां पर नफरत और बुराईयों से बचने के लिए तमाम अच्छाईयों पर अमल करके दिखाया जाता है। खानकाहे नियाज़िया के प्रबंधक जुनैदी मिया नियाजी ने बताया इस साल जश्न-ए-चिरागा बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। हर साल मन्नतों मुरादों का चिराग रौशन करने वालों की आमद में इजाफा हो रहा है। सिलसिला-ए-नियाज़िया के बुजुर्गों के वसीले से तमाम लोगों की जायज़ मुरादें पूरी होती हैं और तमाम लोगों के दिल की मुरादें पूरी होती हैं। आने वाले लोगों के लिए दरगाह की तरफ से तमाम इन्तेजामात किये जाते हैं। इस साल तमाम बड़ी खानकाहों के गद्दीनशीन, उलेमा, सूफी हज़रात विश्व विख्यात फनकार बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी वर्ग के लोग शरीक हो रहे हैं और अंधकार मिटाने के लिए चिरोगों की रौशनी में शामिल होंगें और पूरी दुनिया में अमन, भाईचारा, रूहानी, जिस्मानी, जहनी सुकून, खुशहाली के लिए एक साथ दुआओं में शामिल रहेंगें और फैज़ हासिल करेंगे। जश्न-ए-चिरागा में तमाम तक्रीबात हस्बे दस्तूर गुलपोशी, चादरपोशी, नज़र नियाज़, लंगर, महफिल-ए-कव्वाली, दस्तरख्वान, चिश्तिया रंग और हलकऐ ज़िक्र के साथ समाप्त होगी और दुआओं के साथ तमाम लोग अपने, घरों के लिए रवाना होगें।