शिक्षक का कर्तव्य है राष्ट्र निर्माण : स्वामी चिन्मयानंद
शाहजहांपुर।।व्यक्तित्व निर्माण का कार्य विशुद्ध रूप से एक शिक्षक ही कर सकता है। एक आदर्श अध्यापक वह है जिसे अपनी गलतियों का सदैव एहसास हो किंतु उपलब्धियों पर कोई गर्व न हो। शिक्षक एक ऐसा पद है जिसकी जिम्मेदारी परमात्मा ने स्वयं अपने बाद हमें सौंपी है। उक्त उद्गार मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने संकुल में शिक्षक दिवस के आयोजन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने शिक्षकों को उद्बोधन देते हुए कहा कि मुमुक्षु शिक्षा संकुल शिक्षा का एक ऐसा केंद्र है जहां एक छोटा सा बच्चा एक प्रबुद्ध एवं जिम्मेदार नागरिक में रूपांतरित होकर निकलता है। उन्होंने कहा कि बीज कितना ही सबल क्यों न हो, उसे वृक्ष बनने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह ज्ञान के बीज को अंकुरित होने के लिए शिक्षक रूपी मिट्टी की आवश्यकता होती है। शिक्षक का कर्तव्य है- व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण। आज की परिस्थितियों को देखते हुए शिक्षक की यह नैतिक जिम्मेदारी बन गई है कि वह जातीयता, क्षेत्रीयता एवं साम्प्रदायिकता की रेखाओं से समाज में हो रहे विभाजन को रोककर समाज की उन्नति हेतु प्रयास करे। जनपद के सुप्रसिद्ध राजनयिक एवं शिक्षक दल सिंह यादव ने कहा कि जब कभी विपत्तियों का अंधेरा किसी समाज अथवा राष्ट्र को कलंकित करने लगता है तो कोई न कोई महान आत्मा सूर्य बनकर अवतरित होती है। उन्होंने कहा कि अध्यापक राष्ट्र का निर्माता है। आज का समारोह अध्यापकों की उपलब्धियों का प्रतीक है। शिक्षा प्रगति की आधारशिला है किंतु इसके लिए इच्छाशक्ति की परम आवश्यकता होती है। कार्यक्रम के संतोष पांडेय ने कहा कि संत सदैव अमर रहते हैं। स्वामी शुकदेवानंद जी आज भले ही हमारे मध्य सशरीर उपस्थित नहीं हैं किंतु फिर भी वे हमें सदैव आशीर्वाद देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का वटवृक्ष जिम्मेदारी की नींव पर निर्मित होता है। प्रत्येक शिक्षक को इस जिम्मेदारी का एहसास करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही आनंद का स्रोत है किंतु उसके लिए आत्म चिंतन बहुत जरूरी है। महाविद्यालय के सचिव डॉ अवनीश मिश्र ने कहा कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अनेकों भूमिकाओं के अंतर्गत अपने जीवन को जिया था। उन्होंने भारतीय ज्ञान एवं धर्म को विश्व पटल पर रखा। उन्होंने कहा की परिस्थितियों की प्रति सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए हमें उन्हें हर हाल में स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जो मन-मस्तिष्क एवं व्यक्तित्व को प्रफुल्लित करे तथा समाज को परिष्कृत करे। कार्यक्रम में विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जयशंकर ओझा एवं स्वामी धर्मानंद सरस्वती इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अमीर सिंह यादव ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु वंदना एवं समापन आरती के साथ हुआ। कार्यक्रम में मुमुक्षु शिक्षा संकुल की विभिन्न संस्थाओं के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ से शोभित खन्ना, स्वामी धर्मानंद सरस्वती इंटर कॉलेज से अनिल मालवीय, स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय से अजीत कुमार एवं स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज से श्री एसपी डबराल एवं डॉ निधि त्रिपाठी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दल सिंह यादव को महाविद्यालय के सचिव डॉ अवनीश मिश्र के द्वारा अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं विशिष्ट संतोष पांडे को विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जयशंकर ओझा के द्वारा अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के उपप्राचार्य प्रो अनुराग अग्रवाल के द्वारा एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर के आजाद के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ के सचिव अशोक अग्रवाल, रामसागर यादव, प्रो प्रभात शुक्ला, प्रो मीना शर्मा, प्रो आलोक मिश्रा, प्रो आदित्य कुमार सिंह, डॉ आलोक कुमार सिंह, प्रो मधुकर श्याम शुक्ला, दीप्ति गंगवार, पवन गुप्ता सहित मुमुक्षु शिक्षा संकुल की सभी संस्थाओं के शिक्षक उपस्थित रहे।