एसएस लॉ कॉलेज में निर्देशन कार्यक्रम और नव अपराधिक कानूनों पर परिचर्चा हुई
शहाजहापुर। स्वामी शुकदेवानन्द विधि महाविद्यालय में एलएल.एम./एलएल.बी./बी.एएल-एल.बी. के छात्रों के लिए निर्देशन कार्यक्रम स्वामी शुकदेवानन्द स्मृति सभागार में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो0 बलराज चौहान पूर्व कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, प्रो.अमित सिंह, विधि संकायाध्यक्ष, एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली और अपर-जिला जज श्री पीयूष तिवारी सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण शाहजहांपुर, श्रीनारायण दत्त त्रिपाठी अध्यक्ष, श्री राजीव कुमार शर्मा महामंत्री सेंट्रल बार एसोसिएशन, मनेंद्र सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुमु़क्षु शिक्षा संकुल के अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी द्वारा की गई। इस कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती जी, स्वामी शुकदेवानंद जी महाराज और स्वामी धर्मानंद जी महाराज की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुराग अग्रवाल और स्वागत श्रीमती रंजना खंडेलवाल ने किया। इसके बाद नवप्रवेशित विद्यार्थियों को स्वामी जी के द्वारा परिचय पत्र और बैग वितरण किया गया। कार्यक्रम में कुल 550 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। डॉ. पवन कुमार गुप्ता, डॉ. अनिल कुमार, अशोक कुमार, डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. अमरेंद्र सिंह ने मनचस्थ अतिथियों को शाल, स्मृति चिन्ह व पुस्तक प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी जी ने बताया कि आज के परिदृश्य में विधि की परिभाषा परिवर्तित हो चुकी है यह समाज में बिगड़े हुए लोगों को सुधार सुधारने का कार्य कर रही है ना कि दंडित करने का क्योंकि दंड देना केवल ईश्वरीय कार्य है। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियों में केवल मानव ही वह प्राणी है जो अन्य प्राणियों से भिन्न है जिसे विधि की आवश्यकता है और वह उन विधियों को स्वयं निर्धारित करता है।
बलराज सिंह चौहान ने बताया कि अगर विधि का विशेष ज्ञान प्राप्त करना है तो आपको अंग्रेजी का भी ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बी.एन.एस.एस. में कई प्रक्रियाएं हैं, जिसमें तलाशियों, जब्तियों और अपराध के दृश्य की वीडियोग्राफी और केस प्रॉपर्टी आदि की फोटोग्राफी शामिल है, जिनके लिए शुरुआत से ही इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल तकनीकी का प्रयोग करना आवश्यक होगा। हालात यह है कि सभी जांचकर्ताओं और निर्णायकों को अभी भी उपयुक्त उपकरण और तकनीकी प्रदान करके उनका उपयोग करना सिखाना सम्भव नहीं हो पाया है, जो आवश्यक डिजिटल आउटपुट समान रूप से और स्वीकार्य रूप में उत्पन्न, सुरक्षित और संग्रहीत करने में सहायक होंगे। अदालतों, पुलिस स्टेशनों और जेलों का बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण, तकनीकी और सहायक कर्मचारियों की भर्ती और प्रशिक्षण, वित्तीय संसाधन और अंतर-एजेंसी समन्वय अति आवश्यक होंगे।अमित सिंह ने विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली एवं सुधार पर प्रकाश डालते हुए नई शिक्षा नीति के अनुरूप मूल्यांकन प्रक्रिया से छात्रों को अवगत कराते हुए वर्तमान नवीन कानून का विश्लेषण किया उन्होंने बताया कि औपनिवेशिक कानून में जो कमियां थी उसको दूर कर सुधारात्मक तथा छोटे-छोटे अधिनियमों को जोड़ते हुए भारतीय परिवेश के अनुरूप एक बेहतर कानून का निर्माण किया गया है साथ यह भी कहा कि विधि का उद्देश्य सुशासन होता है और नए कानून दंडात्मक सिद्धांत का परित्याग कर सुधारात्मक सिद्धांत को बढ़ावा देते हैं। अपर जिला जज शाहजहांपुर और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री पीयूष तिवारी जी ने विधि व्यवसाय से जुड़ने के लिए नवीन छात्रों को शुभकामनाएं दी। साथ ही बताया कि राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा में जो लोग हैं अधिकांश इसी व्यवसाय से संबंधित है। साथ ही उन्होंने छात्रों को अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखने के लिए प्रेरित किया और विधिक सेवा प्राधिकरण के वालंटियर के रूप में सेवाएं प्रदान करने के लिए भी आमंत्रित किया। प्रबंध समिति के सचिव डॉ0 अवनीश कुमार मिश्र ने छात्रों को उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि आप इन आनेवाले वर्षो में अपनी प्रतिभा के बल पर नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें। साथ ही नवागंतुक छात्र-छात्रों को संपूर्ण महाविद्यालय के क्रियाकलापों की जानकारी दी। विधि के क्षेत्र में अध्ययन कर आप जीवन में चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर समाज व राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं। इससे न केवल उनके व्यक्तित्व का विकास होगा बल्कि दूसरो…