उझानी। कोरोना महामारी जैसी भयंकर बीमारी के बढने व लांक डाउन लगने के चक्कर में मेडीकल से जुडे चिकित्सकों ने अपने प्रतिष्ठान में स्टाक कर लिया है वही ज्यादा मांग होने पर मेडीकल स्टोर मालिकों ने दवां के मूल्यों में वेहतासा वृद्धि कर दी है कुछ दवा तो मेडीकल स्टोरों से नदारत हो गई वही पीडित लोग एक रूपयें वाली गोली बारह रूप्यें में खरीद रहे है। नगर के रेलवे रोड, बिल्सी रोड, कछला रोड, पंखा रोड, बदायूं रोड स्थित मेडीकल स्टोरों पर दवा टूसिनडीएमआर का पत्ता तीस रूपये का मिलता है वर्तमान समय उसकी कीमत आसमान छू रही अब यह साठ रूपयें का मिल रहा। डाक्टमोरपेन गोली का पत्ता शुगर वाले मरीजों को खाते ही राहत मिल जाती थी जो बीस रूप्यें की गोली मिलती थी वह मौजूदा समय में पैतीस से पैतालिस रूपयें की मिल रही है। एडी थ्री माइसिन साल्ट का पत्ता जो अमूमन दस से बारह रूपये का मिलता था जो आज अठ्ठारह रूपयें से लेकर बीस रूप्यें तक ग्राहक को मिल रहा है। पैरासीटामोल की गोली दस पैसे से लेकर अलग-अलग कंम्पनियों द्वारा निर्मित एक रूपयें तक की पांच सौ एमजी की आसानी से मिल जाती थी। वह गोली वर्तमान समय में सवा दो रूपयें से लेकर चार रूप्यें तक की मिल रही है। निरोकाइड गोल्ड पाउडर चालीस बाला पचास रूपयें में मिल रहा है। बीका सूल कैपसूल जेड तो दुकानों से गायव है जिसपर ब्लैक की जा रही है। कप सीरप खांसी की गोली का पत्ता तीस से साठ रूपयें का मिलता था जो कोरोना जैसी महामारी बीमारी को देखते हुए पैसठ रूपयें से लेकर एक सौ सत्तर रूपयें तक ग्राहक की जेव की अतरिक्त मार पड रही है। वही मेडीकल स्टोर वाले को दी जा रही है। कमोवेश यही स्थिती मास्क की है मेडीकल स्टोर पर दो रूपयें वाला मास्क पांच रूपयें में पांच वाला मास्क पंद्रह से बीस रूपयें में बीस वाला मास्क सौ रूपयें तक में बेचा जा रहा है। मेडीकल दुकान दारों की हटधर्मिता के कारण दवा के मूल्य में वेहतासा वृद्धि करने से गरीव असहाय मजदूर वर्ग के लोगो की जेव पर अतिरिक्त खर्च पड रहा है जिससे आम जनमास कराह उठा है जिसमें अजय कुमार गुप्ता, सुभाष गुप्ता एडवोंकेट, विश्व प्रकाश शर्मा, अनजार अहमद, सूवेदार सिंह, पप्पू श्रीवास्तव, सत्येद्र राठौर, ओमप्रकाश शर्मा आदि ने दवा के आलाधिकारियों से मेडीकल स्टोरो पर छापे मारी कर ब्लैक में दवा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाही की मांग की है।