मैदान में नहीं हैं मगर दांव पर है नरेश अग्रवाल की साख
 
                हरदोई। और मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। ऐसे में दिग्गज नेता पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल के इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ने की गुंजाइश कभी रही ही नहीं। मतलब यह कि वह मैदान से बाहर हैं, लेकिन मैदान के अंदर की राजनीति भी उनके ही इर्द-गिर्द घूमती है। यही वजह है कि मैदान में न होने के बावजूद लोकसभा चुनाव की दोनों सीटें उनकी साख से जुड़ी हैं। इसे यूं भी कह सकते हैं कि उन्होंने दोनों सीटों को अपनी साख से जोड़ रखा है।दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे नरेश अग्रवाल को हरदोई की राजनीति में किंग मेकर भी कहा जाता है। इसकी वाजिब वजह भी है कि जिले की हर विधानसभा सीट पर उनका अपना वजूद और निर्णायक वोट हैं। नरेश अग्रवाल के पास भाजपा में कोई पद नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव की दोनों सीटों को जिताने की कवायद वह तेजी से कर रहे हैं। दोनों सीटों के भाजपा प्रत्याशियों ने 18 अप्रैल को नामांकन किया था।इसके बाद से नरेश अग्रवाल हरदोई और मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में बड़ी छोटी 20 जनसभाएं कर चुके हैं। इसके अलावा समाज के अलग-अलग वर्गाें के साथ वह अपने आवास पर भी बैठकें करते रहे हैं। जिला पंचायत सदस्यों, नगर पालिका के सभासदों के साथ भी बैठक छोटी बड़ी जनसभाओं में शामिल नहीं है। कई जनसभाओं में प्रत्याशियों को लेकर नाराजगी आई, तो नरेश अग्रवाल ने यह कहकर मामला संभाल लिया कि चुनाव मेरी साख से जुड़ा है और इसके बाद नाराजगी कम होती नजर आने लगी।हरदोई और मिश्रिख लोकसभा सीट को अपनी साख से जोड़ना कहीं न कहीं नरेश अग्रवाल की राजनीतिक मजबूरी भी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वह अब न तो विधायक हैं और न ही सांसद। पार्टी संगठन में भी उनके पास कोई पद नहीं है, लेकिन दोनों ही सीटों पर मैदान में उतरे भाजपा प्रत्याशियों की उनसे नजदीकियां जग जाहिर हैं। एक प्रत्याशी तो उनकी बनाई गई लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर भी सांसद रह चुके हैं और जिस दल में नरेश अग्रवाल होते हैं कहीं न कहीं आगे पीछे वह भी वहीं पहुंच जाते हैं।नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल सदर सीट से विधायक हैं। प्रदेश सरकार में आबकारी मंत्री हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब होते रहे हैं। चुनावी मैदान में वह भी नहीं हैं, लेकिन नामांकन दाखिल होने के बाद से वह हरदोई और मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत हरदोई जनपद में 26 बड़ी छोटी जनसभाएं कर चुके हैं। नितिन अग्रवाल को विधानसभा चुनाव में हरदोई सीट से 43 हजार से अधिक वोटों से जीत मिली थी। अपने क्षेत्र में इस प्रदर्शन से बेहतर कर दिखाने की चुनौती भी उनके सामने है।नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल ही नहीं बल्कि भाई मुकेश अग्रवाल भी लोकसभा चुनाव में सक्रिय हैं। मुकेश अग्रवाल परोक्ष-अपरोक्ष रूप से 20 साल तक जिला पंचायत के कर्ता-धर्ता रहे हैं। दो बार खुद और एक बार उनकी पत्नी जिला पंचायत की अध्यक्ष रही हैं। मौजूदा समय में भी मुकेश अग्रवाल जिला पंचायत के सदस्य हैं। उन्हें सांडी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सुरसा के इलाके की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह इस इलाके में अब तक 25 छोटी-छोटी सभाएं कर चुके हैं।





















































































 
                                         
                                         
                                         
                                        