राम सीता का जीवन प्रेम,आदर्श,समर्पण मूल्यों को प्रदर्शित करता है,किशोरी जी महाराज

चित्रकूट। परमहंस संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलो से जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में अरविंद भाई मफत लाल की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चल रही नौ दिवसीय कथा में मिथिला धाम से पधारे परम पूज्य श्री किशोरी शरण मधुकर जी महाराज(मुढिया बाबा सरकार) राम कथा का गान कर रहे है महाराज जी कथा के सातवें दिन श्री सदगुरू सेवा संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष विशद भाई मफत लाल और उनकी धर्म पत्नी रूपल बहन ने राम कथा पोथी और किशोरी जी महाराज का पूजन अर्चन किया तत्पश्चात महराजा जी अपनी अमृतमय वाणी से देश के विभिन्न प्रांतों से आए कथा श्रोताओं को प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए बताते है कि एक बार ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगने आते है विश्वामित्र राम लक्ष्मण को अपने साथ लेकर जाते जहां तड़का आदि असुरों को मार कर यज्ञ की रक्षा करते है। महाराज जी कथा का रसपान कराते हुए बताते है कि मिथिला के राजा जनक के यहां भगवान शिव का धनुष रखा था जिसको उनकी पुत्री सीता ने उठाकर उसके नीचे गाय के गोबर से लीपा और पुनः उसी जगह धनुष को उठा कर रख दिया ये देख राजा जनक ने प्रतिज्ञा की जो इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ मैं अपनी पुत्री का विवाह करूंगा।

धनुष यज्ञ में देश देशांतर के तमाम राजा महाराजा आए सब ने धनुष उठने का प्रयास किया पर कोई हिला तक न पाया राजा जनक दुखी हो गए और विलाप करने लगे तब धनुष यज्ञ शाला में राम लक्ष्मण के साथ आए विश्वामित्र ने प्रभु राम को धनुष उठने की आज्ञा दी।गुरु विश्वामित्र की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम ने शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते है और प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष का खंडन हो जाता है इतना सुनते ही कथा स्थल सीता राम के जयकारों से गूंजने लगता है।इसके बाद माता सीता प्रभु राम के गले में जयमाला डाल देती और बड़े ही विधि विधान से प्रभु राम और माता जानकी के विवाह के साथ भरत,लक्ष्मण और शत्रुघ्न भी विवाह संपन्न होता है। महाराज जी ने कथा प्रेमियों को बताया कि राम सीता का जीवन प्रेम,आदर्श,समर्पण मूल्यों को प्रदर्शित करता है।कथा श्रोताओं में श्री सदगुरू सेवा संघ के अध्यक्ष विशद भाई मफत लाला उनकी धर्म पत्नी रूपल बहन उनकी माता जी , ट्रस्टी डा।बी के जैन उनकी धर्म पत्नी उषा जैन , ट्रस्टी विष्णु जोबन पुत्रा साहब और उनकी धर्मपत्नी, ट्रस्टी मनोज पंड्या ,इलेश जैन सहित तमाम ट्रस्टीगण,साधु संत, आम जनमानस, तमाम प्रांतों से पधारे गुरु भाई बहन एवं सदगुरू परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।