मिलनाडु में शिप्रा पाठक की पदयात्रा को गांव गांव मिल रहा है भारी जनसमर्थन,जगह जगह स्वागत
तमिलनाडु। उत्तर प्रदेश के रामनगरी अयोध्या से चलकर विभिन्न प्रांतों को पैदल नापकर शिप्रा पाठक की राम जानकी वन गमन पद यात्रा से तमिलनाडु के गांव गांव के लोग जुड़ रहे हैं।शिप्रा के आने की खबर एक गांव के ग्राम वासी दूसरे गांव के ग्राम वासियों को दे रहे हैं।जिससे जगह जगह उनका पुष्प वर्षा के साथ स्वागत सत्कार हो रहा है।तमिलनाडु में राम नाम के संकल्प के साथ पहली बार किसी यात्रा या कार्यक्रम को इतने सफल रूप में देखा जा रहा है। आपको बताते चलें शिप्रा अयोध्या से 27 नवंबर को रामेश्वरम के लिए पैदल निकलीं थी।

शिप्रा की पद यात्रा उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र कर्नाटक के घने जंगलों से होते हुए तमिलनाडु तक पहुंची है।शिप्रा इस पद यात्रा के माध्यम राम जानकी के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए रास्ते में पड़ने वाली विभिन्न नदियों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के अलावा भगवान राम और माता जानकी के चरित्र को आत्मसात करने की प्रेरणा दे रहीं है।शिप्रा की पद यात्रा की तमिलनाडु के गांव गांव में सराहना हो रही है सोशल मीडिया के द्वारा विभिन्न युट्यूबर एवम पत्रकार बंधुओं का भी शिप्रा को भरपूर सहयोग मिल रहा है। शिप्रा राम वन गमन मार्ग में पड़ने वाली नदियों का जल एकत्र कर रामेश्वरम पहुंचकर जलाभिषेक करेंगी।

आज त्रिपुवनम पहुंचने पर भयंकर गर्मी के बावजूद भी सैकड़ों रामभक्तों ने शिप्रा के साथ कई किलोमीटर की पद यात्रा की।शिप्रा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी को जोड़ने वाली भारतीय संस्कृति ही है जिसके दम पर उत्तर प्रदेश से कई हजार किमी चलकर आने पर एक मातृ शक्ति का तमिलनाडु में इतना भव्य स्वागत किया जा रहा है।यही भावना हमारे देश की हमको महान बनाती है।भगवान राम के प्रति देश का समर्पण भाव आज भी तमिलनाडु में अयोध्या जैसा ही प्रतीत हो रहा है।उन्होंने कहा भगवान राम के राम वन गमन मार्ग में तमिलनाडु की धरती पर ही श्री राम का लंका विजय संकल्प पूरा हुआ था।यहीं से भगवान राम ने गिलहरी से लेकर बानर तक का संगठन बनाकर दुर्लभ राम सेतु बनाया था ऐसी पावन धरती को मैं बारंबार नमन करती हूं।




















































































