लखनऊ। प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दलों के कोटे की सीटें अभी भले ही तय नहीं हो पाई हों, लेकिन भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची से पूर्वांचल के कई ऐसे दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, जो बैक डोर से सहयोगी दलों के टिकट पर संसद पहुंचने का मंसूबा पाले थे। ऐसे लोगों में बाहुबली बृजेश सिंह और धनंजय सिंह समेत कई नामों की चर्चा थी। धनबल के जरिए भी कई लोग चुनाव लड़ने की कोशिश में थे। कई दावेदारों ने संभावित सीटों पर तैयारी भी शुरू कर दी थी और होर्डिंग आदि लगाने पर लाखों रुपये खर्च भी कर दिए थे।दरअसल बृजेश और धनंजय समेत कई ऐसे लोग बाहुबल और धनबल के आधार पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जिन्हें सीधे भाजपा से टिकट मिलने की संभावना नहीं है। ये लोग सुभासपा या निषाद पार्टी के कोटे की सीटों से चुनाव लड़ने को लेकर एक साल से दोनों दलों के अध्यक्षों को साधे हैं। सूत्रों की माने तो बृजेश सुभासपा के टिकट पर गाजीपुर या चंदौली से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे तो धनंजय जदयू या निषाद पार्टी से जौनपुर सीट से सांसद बनने का सपना देख रहे थे। सूत्रों का कहना है कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भदोही सीट पर इसलिए भी दावेदारी की है क्योंकि वहां से वे किसी बाहुबली को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। लेकिन भाजपा ने गाजीपुर और जौनपुर सीट से प्रत्याशी उतार कर इन लोगों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। भाजपा की सूची आने के बाद बृजेश ने तो पत्ता नहीं खोला, लेकिन धनंजय ने जौनपुर से ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। माना जा रहा है कि धनंजय चुनाव लड़ते हैं तो सबसे अधिक दिक्कत भाजपा उम्मीदवार को होगी।सुभासपा की दावेदारी वाली गाजीपुर और निषाद पार्टी की दावेदारी वाली भदोही सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं हुए हैं। चर्चा है कि यदि सुभासपा अध्यक्ष राजभर गाजीपुर सीट पाने में सफल होते हैं तो इस सीट से पूर्व एमएलसी बृजेश या उनका बेटा चुनाव मैदान में उतर सकता है। गाजीपुर सीट से सांसद रह चुके जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर मनोज सिन्हा इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले ही सिन्हा ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर गाजीपुर सीट पर खुद या अपने पुत्र अनुभव सिन्हा को चुनाव लड़ाने का अनुरोध किया है। ऐसे में यदि गाजीपुर सीट भाजपा अपने पास रखती है तो फिर बृजेश के चुनाव लड़ने की संभावना कम ही बचेगी।