राष्ट्रीय शैक्षिक जागरूकता अभियान:न्याय की अवधारणा का लक्ष्य समानता
शाहजहाँपुर। स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में 9 दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक जागरूकता अभियान के छठवें दिन न्याय का आधुनिकीकरण आपराधिक कानून विधेयक–2023, एवं अपराध का आधुनिकीकरण व साइबर क्राइम विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी ने बताया कि निस्संदेह, ब्रिटिश काल के आईपीसी और सीआरपीसी को निरस्त करना आधुनिकऔर न्यायसंगत कानूनी ढांचा तैयार करने की दिशा में एक साहसिक कदम है जो समकालीन भारत की जरूरतों को पूरा करता है।भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप एक कानूनी प्रणाली बनाने का प्रयास करके, राष्ट्र एक उज्जवल, अधिक न्यायसंगत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की ओर बढ़ रहा है। विशिष्ट वक्ता डॉ. संदीप मिश्रा,विधि संकाय, एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ ने अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि तकनीकी विकास ने साइबर अपराध को बढ़ा दिया है। एक शोध के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि प्रतिदिन 1500 नए तरीके के साइबर अपराध हो रहे हैं, समय के अनुसार उसका स्वरूप और भी जटिल होता जा रहा है। वर्तमान में 11% वार्षिक दर से साइबर अपराध बढ़ा है। साइबर अपराध में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और इंटरनेट शामिल है इसकी आसानी से उपलब्धता साइबर अपराध की वृद्धि में सहायक है। साइबर अपराध से जुड़े तमाम अपराधियों को नियंत्रित करने की जो दर है वह एक प्रतिशत है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में साइबर अपराध एक जमानती अपराध है और इसमें सजा भी कम है जिसके कारण अपराध पर नियंत्रण स्थापित करना एक जटिल समस्या बन गई है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विशेषज्ञों की कमी के कारण भी साइबर अपराध को नियंत्रित करना जटिल है। अभी के समय में इसका निदान हमारी सजगता एवं जागरूकता मुख्य वक्ता प्रो. कुमारअस्कंद पांडेय जी,एसो. प्रोफेसर,डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ ने बताया कि वर्तमान समय में इस विषय पर बहस छड़ी हुई है कि भारत में कानून का भारतीयकरण होना चाहिए परंतु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि न्याय की संकल्पना को किसी सीमा में बांधा नहीं जा सकता है,यह सार्वभौमिक होती है।अलग-अलग राष्ट्रों और समाजों में इस का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है परंतु उसकी मूल भावना एक जैसी होती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था भारत की प्राचीन परंपराओं में थी परंतु मध्यकाल में विभिन्न शासको द्वारा इसके स्वरूप को विकृत करने का प्रयास किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि स्वामी विवेकानंद का एक कथन है कि प्रकाश कहीं से भी आए उन्हें आने दिया जाए। इस कथन का तात्पर्य है कि हमें अच्छे कानून का हृदय से स्वागत करना चाहिए।
सत्र का शुभारम्भ सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयशंकर ओझा जी ने उपस्थित अतिथियों स्वागत उद्बोधन किया एवं अतिथियों का परिचय कराया। डॉ. अनुराग अग्रवाल अध्यक्ष वाणिज्य विभाग एस.एस. पी.जी. कॉलेज जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन महाविद्यालय की सहायक आचार्या डॉ. दीप्ति गंगवार द्वारा किया गया। संगीत विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. कविता भटनागर एवं छात्राओं द्वारा स्वागत गीत एवं वंदेमातरम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर डॉ. अनिल कुमार शाह, डॉ. अमित कुमार यादव, डॉ. पवन कुमार गुप्ता, डॉ0 प्रेमसागर, डॉ. अमरेंद्र सिंह, प्रियंक वर्मा साथ ही महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक गण एवं 174 छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अगला कार्यक्रम राष्ट्रीय शैक्षिक जागरूकता अभियान के अंतर्गत सार्वजनिक जीवन में विधि एवं नैतिकता की भूमिका विषय पर व्याख्यान का आयोजन होगा, जिसमेंकार्यक्रम अध्यक्ष विद्यासागर सोनकर, सदस्य विधान परिषद, मुख्य अतिथि, विधि विशेषज्ञ, प्रो. बलराज सिंह चौहान एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. राना परवीन उपस्थित रहेंगे।




















































































