बिल्सी के बहेटा गुसाई में कथा का चौथा दिन बिल्सी। बेटी की विदाई का कष्ट सिर्फ मां ही नहीं बल्कि पिता को भी उतना ही होता है अंतर बस यह होता है की मां प्रदर्शित करती है और पिता उसे प्रदर्शित नहीं कर पाते। रामायण पूरी तरह जीवन जीने की कला सिखाती है। ये बात शनिवार की रात क्षेत्र के गांव बहेटा गुसाई में चल रही राम कथा के चौथे दिन कथावाचक अनुराधा मिश्रा ने राम विवाह के पश्चात मां जानकी की विदाई का प्रसंग को सुनाते हुए कही। उन्होंने कहा कि जानकी की विदाई से पूर्व जनक जी ने दशरथ जी से कहा कि महाराज, अगर हमारी पुत्रियों से कोई गलती हो जाए तो आप यह समझ कर उसे क्षमा करेंगे कि वह गलती पुत्रियों की नही मेरी गलती है। मेरी पुत्रियां मेरे परिवार के संस्कार के अनुरूप दोनों कुल का गौरव बढ़ाएंगी। यह कहने के साथ ही वे बेटी की विदाई के बाद खुद पीछे-पीछे चल पड़े। काफी दूर तक जाने के बाद महाराज दशरथ के कहने पर वे वहीं रुक तो गए। लेकिन काफी देर तक देखते रहे। उन्होंने भगवान राम के वन गमन की कथा के दौरान कैकयी प्रसंग को भी सुनाया। इस मौके पर प्रहलाद पुरी, प्रमोद गुप्ता, रामअवतार गुप्ता, सुमित गुप्ता, अखिलेश गुप्ता, राजेश कुमार, महेश वर्मा, मुकेश गुप्ता, नवीन वार्ष्णेय, मुन्नी देवी, मीरा वर्मा, तनु वार्ष्णेय, राधा देवी, राधाकृष्ण गुप्ता, अनंत गोपाल गुप्ता उर्फ बबलू, नरेश आर्य, ईशु मिश्रा, शिवशंकर शाक्य आदि मौजूद रहे।