महराजगंज। गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छह स्वर्ण पदक हासिल कर इलाके का नाम रोशन करने वाली संजना पटेल जब यह कहती हैं कि मेरी कामयाबी में मम्मी-पापा का हाथ है, तो बगल में बैठी मां संजू पटेल की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। वे बताती हैं कि ‘संजना के पिता भले ही कारपेंटर हैं, लेकिन उन्होंने बेटी के लिए हमेशा बड़े ख्वाब ही देखे..। ये आंसू ऐसे ही नहीं आए, बेटी की इस सफलता के पीछे पूरे परिवार की तपस्या शामिल है। संजना ने बताया कि पापा केशव पटेल केरल में कारपेंटर हैं। इतनी आमदनी नहीं है कि उन्हें गोरखपुर में किराए का का मौका मिले। लेकिन पापा ने कभी बेटा-बेटी में फर्क नहीं किया। उन्होंने गोरखपुर में किराए के कमरे की व्यवस्था की। मैंने भी पूरी मेहनत से पढाई की। परिणाम सामने है। शहर से करीब पांच किमी दूरी पर स्थित नेता सुरहुरवा गांव की संजना पटेल को बधाई देने वालों का तांता लगा है। चूने से पुते साधारण से मकान में रहने वाली संजना चार बहनें और एक भाई है। बचपन से ही साधारण हालात में अब तक का जीवन बिताया है। पिता केशव और दादा चाहते थे कि बेटियां पढ़- लिखकर काबिल बनें। आज बेटी को मिली सफलता पर मां संजू पटेल खुशी से गदगद दिखी। दादा मुटूर पटेल भी प्रसन्नचित नजर आ रहे थे। बहनों में दूसरे नंबर की संजना ने बताया कि वह एसोसिएट प्रोफेसर बनना चाहती हैं। वह फैशन डिजाइनिंग में भी हाथ आजमाना चाहती हैं। बताया कि बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। एक बहन उजाला पटेल डॉ. बीआर आंबेडकर महाविद्यालय धनेवा धनेई में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। दूसरी बहन रंजना पटेल रामरेखा राय गंगा राय महाविद्यालय महराजगंज से बीए की पढाई पूरी कर चुकी है। सबसे छोटा भाई अनुराग कक्षा छह का छात्र है। संजना ने बताया कि आने वाले दिनों में कड़ी मेहनत करते हुए लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करूंगी। किसी को भी पढ़ाई बोझ बनाकर नहीं करनी चाहिए। हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।