लखनऊ। नगर निकाय चुनाव से संबंधित अधिनियम और नियमावली में संशोधन के बाद मौजूदा आरक्षण में बड़े पैमाने पर फेरबदल होंगे। नगर निगमों में महापौर के साथ ही नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के अध्यक्षों के आरक्षण में बदलाव किए जाएंगे। इनमें अनारक्षित और पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में बदलाव होगा। वहीं, एक-दो सीट अनुसूचित जाति के कोटे में भी जा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक अधिनियम और नियमावली में संशोधन के बाद पिछले चुनावों में अब तक हुए सभी आरक्षण को शून्य मानते हुए वर्ष-2023 के लिए सीटों का आरक्षण नए सिरे से किया जाएगा। ऐसे में चक्रानुक्रम प्रणाली लागू नहीं होगा। लिहाजा आरक्षण पूरी तरह से बदलना तय माना जा रहा है। सीटों का आरक्षण जातीय आबादी के हिसाब से किया जाता है। सबसे पहले एसटी महिला और इसके बाद क्रमशः एसटी, एससी महिला, एससी, ओबीसी महिला, ओबीसी, महिला और अनारक्षित सीटें रखी जाती हैं। महिलाओं के लिए एक तिहाई से अधिक सीटें आरक्षित नहीं हो सकती हैं। पूर्व में जारी आरक्षण की अधिसूचना में इसके आधार पर ही सीटों का आरक्षण किया गया था लेकिन हाईकोर्ट में मामला फंसने के बाद इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर पांच दिसंबर 2022 को आरक्षित सीटों की अनंतिम अधिसूचना को भी अब रद्द कर दिया जाएगा। इसके स्थान पर नए सिरे से सीटों का आरक्षण होगा। आबादी के आधार पर इस बार ओबीसी के हिस्से में अधिक सीटें जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि इस बार पिछले आरक्षण के हिसाब से चुनावी तैयारियों में लगे नेताओं के हाथ मायूसी आ सकती है।