अयोध्या के राम मंदिर निर्माण से लोगों के स्वेच्छा से जुड़ने का अभियान 14 से
लखनऊ। रामनगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण में जन-जन की सहभागिता भी तय की जा रही है। मंदिर से आमजन के स्वेच्छा से जुडऩे का अभियान 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति से होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय आज लखनऊ में थे। उन्होंने इस दौरान मीडिया से वार्ता की। चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में समाज के सहयोग से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण साकार होगा। धर्म, मर्यादा, चरित्र, संस्कार के स्वरूप श्री राम जी के इस मंदिर से प्रत्येक व्यक्ति को स्वेच्छा से जुड़ने का अभियान मकर संक्रांति से प्रारंभ होगा, जो माघ पूर्णिमा तक चलेगा। इस अभियान के तहत घर-घर जा के लोगों से सहयोग मांगने के कार्य के पीछे निहितार्थ यह है कि प्रभु श्री राम के काज से हर एक व्यक्ति को जुडऩे का सौभाग्य प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि आप सब जानते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया। उसके निर्देश पर भारत सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गठित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है।चंपत राय ने कहा कि आप इन तथ्यों से परिचित ही हैं कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा जी पर है। वह वर्ष 1986 से जन्मभूमि मंदिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी को मंदिर निर्माण का कार्य दिया गया है, जबकि निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स को चुना है। संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा। तीन मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 तथा चौड़ाई 235 फीट है। मंदिर का फर्श भूतल से 16.5 फीट ऊंचाई पर बनेगा। भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। इसकी मजबूती के लिए धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है। जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू मिली है। गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई व गुवाहाटी की टीमों के साथ केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन टूब्रो तथा टाटा के इंजीनियर तैयार कर रहे हैं।महासचिव चंपत राय ने बताया कि बहुत शीघ्र नींव का प्रारूप तैयार होकर नींव निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा। भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है। देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिए कार्यकर्ता देश के को-कोने कोने में घर घर जाकर संपर्क करेंगे। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, अंडमान निकोबार, कच्छ तथा त्रिपुरा सभी कोनों पर जाएंगे। समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढऩे के लिए साहित्य दिया जाएगा। देश में समाज की गहराई तक इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने। जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिए करोड़ों भक्तों ने कष्ट सहे। यह सब सतत सक्रिय रहे तथा सहयोग किया। उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मंदिर बनेगा। स्वाभाविक है जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्लों में जाएंगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पण करेगा।चंपत राय ने कहा कि यह भगवान का काम है। मंदिर भगवान का घर है। भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता। समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे। इसके बाद भी आॢथक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है। हमने पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया, सौ रुपया तथा एक हजार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं। समाज के लोग जैसा सहयोग देंगे, कार्यकर्ता उसी के अनुरूप कूपन या रसीद देंगे। इसके साथ ही करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र भी पहुंचेगा।