संगीत के आसमां में खूब चमके सहसवान के सितारे, नौ पद्म पुरस्कार पाए
बदायूं। मन की बात कार्यक्रम में रविवार को प्रधानमंत्री ने हाल ही में घोषित पद्म पुरस्कारों के नायकों का जिक्र किया। सहसवान संगीत घराने के उस्ताद राशिद खां को भी इस बार पद्म भूषण सम्मान मिला है जो पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है।
सुर संगीत की बात हो तो देश के प्रतिष्ठित रामपुर सहसवान घराने का जिक्र फख्र से होता है। रामपुर के नवाब समेत देश की बड़ी रियासतों में सहसवान के संगीतकारों ने महफिल सजाई। देश की आजादी के बाद इस घराने को सम्मान मिलना शुरू हुआ। पहला पद्म पुरस्कार राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1954 में उस्ताद मुश्ताक हुसैन खां को दिया। उसके बाद घराने के छह लोगों को अब तक नौ पद्म पुरस्कार मिल चुके हैं।
इसमें सबसे बड़ा नाम उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां का है। तीन पद्म पुरस्कार लेने वाले गुलाम मुस्तफा के शागिर्दों में मन्ना डे, हरिहरन, शान, आशा भोसले, सोनू निगम व एआर रहमान जैसे नाम हैं। घराने के लोगों ने नामचीन फिल्मों में संगीत भी दिया है। घराने के लोग बरेली की खानकाहे नियाजिया से जुड़े रहे हैं। रामपुर-सहसवान घराना देश भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध करने का काम कर रहा है। घराने के नाम को लेकर जानकार बताते हैं कि सहसवान के संगीतकारों का रामपुर नवाब के यहां बरसों का जुड़ाव रहा जिससे इस नाम को पहचान मिली।
सहसवान घराने से जुड़े सितार वादक मुजतबा हसन के मुताबिक बदायूं जिले के सहसवान से परंपरा की शुरुआत हुई थी। वहां संगीतकारों का घराना बरसों पुराना था पर इसे पहचान उस्ताद इनायत हुसैन खां के दौर में मिली। उन्हीं को इस घराने का संस्थापक माना जाता है। यह ग्वालियर नरेश, नेपाल नरेश, निजाम हैदराबाद व नवाब रामपुर के दरबारी गायक रहे। इनके पिता उस्ताद महबूब खां प्रतिष्ठित सितार वादक व लखनऊ नवाब वाजिद अली शाह के दरबारी गायक थे
इनायत हुसैन खां के दामाद व शागिर्द उस्ताद मुश्ताक हुसैन ने घराने को पहली बार बड़ी पहचान दिलाने का काम किया। उन्हें वर्ष 1957 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पद्म भूषण पुरस्कार दिया। उस्ताद मुश्ताक हुसैन के शागिर्द उस्ताद गुलाम सादिक खां को वर्ष 2005 में पद्म श्री पुरस्कार दिया गया।
सहसवान घराने का दूसरा सिलसिला उस्ताद इनायत हुसैन के बहनोई व शागिर्द उस्ताद हैदर हुसैन खां के परिवार ने आगे बढ़ाया। हैदर हुसैन भी नेपाल नरेश व नवाब रामपुर के दरबारी गायक रहे। इनके बेटे उस्ताद फिदा हुसैन खां बड़ौदा रियासत के राज गायक रहे। उस्ताद फिदा हुसैन के बेटे उस्ताद निसार हुसैन खां को वर्ष 1971 में राष्ट्रपति वीवी गिरि ने पद्म भूषण पुरस्कार दिया। निसार हुसैन खां के दामाद उस्ताद हफीज अहमद खां को 1991 में पद्म श्री पुरस्कार मिला। वह ऑल इंडिया रेडियो के डिप्टी चीफ प्रोड्यूसर व खैरागढ़ विवि के वाइस चांसलर भी रहे। उस्ताद निसार हुसैन खां के शागिर्दों में ही उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां को 1991 में पद्म श्री, 2006 में पद्म भूषण व 2018 में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। निसार साहब के ही शागिर्दों में उस्ताद राशिद खां हैं जिन्हें हाल ही में पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। उन्हें 2006 में पद्म श्री पुरस्कार मिल चुका है।
सहसवान घराने के शागिर्दों में बड़े-बड़े नाम
सहसवान घराने के संगीतकारों को लगातार पद्म पुरस्कार मिले तो इस घराने के उस्तादों के शागिर्दों ने भी देश में बड़ा नाम कमाया है। लेखिका शकुंतला नरसिम्हन की पुस्तक ‘द स्पलेंडर ऑफ रामपुर सहसवान घराना’ में जिक्र है कि भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी ने रामपुर में रहकर उस्ताद मुश्ताक हुसैन खां से संगीत की तालीम ली। उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां के शागिर्दों में पद्म भूषण एआर रहमान, पदमश्री ए हरिहरन, पद्मश्री सोनू निगम, आशा भोसले जैसे नाम शामिल हैं। संगीत को समर्पित भातखंडे विवि के संस्थापक पंडित वीएन भातखंडे भी सहसवान घराने के उस्ताद मोहम्मद हुसैन खां के शागिर्द रहे हैं। इन्हीं के दूसरे शागिर्द अलाउद्दीन खां हैं जो पंडित रविशंकर के गुरु रहे हैं। मोहम्मद हुसैन खां उस्ताद इनायत हुसैन खां के भाई थे।
फिल्मों में भी गूंजता है सहसवान घराने का संगीत
नामचीन हिंदी फिल्मों में भी सहसवान घराने के संगीतकारों का संगीत गूंजता रहा है। उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां ने फिल्म उमराव जान व श्रीमान आशिक फिल्म के गीत गाए थे। इसके बाद उस्ताद राशिद खां ने जब वी मेट, माई नेम इज खान व मौसम समेत कई फिल्मों में गीत गाए हैं।
देश विदेश में नाम रोशन कर रहे सहसवान घराने के लोग
सहसवान घराने के लोग अब विदेशों में भी संगीत के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उस्ताद मुश्ताक हुसैन के परिवार के लोग हांगकांग में बस गए हैं और संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। यह लोग साल में एक बार सहसवान आकर उर्स मनाते हैं। उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां का परिवार मुंबई में शिफ्ट है और संगीत क्षेत्र में ही काम कर रहे हैं। उस्ताद निसार हुसैन खां के परिवार के लोग दिल्ली व बदायूं में हैं। बदायूं में उनके बेटे इफ्तिखार हुसैन खां अपने पिता के नाम से संगीत अकादमी चला रहे हैं। घराने में सितार वादक के तौर पर केवल महबूब खां का नाम लिया जाता है। सदी के बाद इफ्तिखार हुसैन के बेटे मुजतबा हसन ने सितार वादन में नाम कमाया है। देश विदेश में उनके सितार वादन के कार्यक्रम होते रहते हैं।