बदायूँ । प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता तथा उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती के अवसर पर जनपद में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। भारतरत्न’ पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त जी के 135वें जयन्ती ’’गौरव दिवस’’ के अवसर पर उनके व्यक्तिव एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। पन्त जी सदैव राष्ट्रीय चेतना के विकास, कृषक हित, शिक्षा एवं सामाजिक जागरूकता के प्रति प्रयासरत रहें। पं0 गोविन्द बल्लभ पंन्त जी के चित्र पर पुष्पान्जलि के साथ श्रद्धाजलि अर्पित किया। पं0 गोविन्द बल्लभ पंन्त जी के बहुआयमी व्यक्तित्व के जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होने जनसामान्य विशेषकर युवा वर्ग एवं विद्यार्थियों को पन्त जी के जीवन दर्शन से प्रेरणा ले कर आगे बढने हेतु प्रेरित किया। संयुक्त प्रान्त में 1937-1939 के समय उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री सहित, स्वतन्त्रता के बाद बने उत्तर प्रदेश नामकरण के भी दो बार मुख्यमंत्री व 1955 से 1961 के बीच चौथे गृहमंत्री पद को उन्होने सुशोभित किया था। गोविन्द बल्लभ पन्त जी ने हिन्दी को ’राजभाषा’ के रूप में प्रतिष्ठित करने, कास्तकारी बिल, स्देशी आंदोलन, काकोरी घटना के क्रान्तिकारियों के मुकदमों की पैरवी करने, ’प्रेमसभा’ नामक संगठन द्वारा जनजागरूकता कार्यक्रम आदि से स्वधीनता आंदोलन के साथ-साथ देश के विकास में अग्रणी भूमिका अदा की।गोविन्द बल्लभ पन्त द्वारा जीवन के विविध क्षेत्रो में किये गये कार्यो व योगदानो को उदघाटित किया। उन्होने उनकी शैक्षिक यात्रा, विधिवेत्ता, स्वतंन्त्रता सेनानी, अर्थशास्त्री व विद्धवता के विभिन्न जीवन आयामो से परिचय कराया। उन्होने कहा की पन्त जी अपने समय के युग पुरूष थे। पन्त के एतिहासिक जीवन यात्रा के साथ स्वधीनता संग्राम की वेदी में उनके अप्रतिम योगदानो को रेखाकिंत किया। पन्त जी को स्वधीनता संग्राम के अद्धितीय सेनानी व सफल राजनेता बताया। पन्त जी के साहियिक कृतियो का वर्णन करते हुये उनके वैचारिक दर्शन से छात्रो को अवलोकित किया। देश के विकास में पन्त जी ने आर्दश राजनेता की छाप स्थापित की है।