तीर्थ यात्रा वनाम तीर्थ पर्यटन में अंतर के लिए आत्मचिंतन जरूरी !

बरेली। अब आने वाले समय में देश के नागरिकों को तीर्थ यात्रा और तीर्थ पर्यटन के बीच के अंतर को गंभीरता से समझना ही होगा बल्कि आत्मचिंतन भी करना होगा। साथ ही शासन प्रशासन को भी हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों के आसपास नशा एवम मांस मदिरा पर भी सख्ती करनी ही होगी। हम सब कोरोना काल में बदली दिनचर्या को आजकल इतनी जल्द भूल गए की कि तीर्थ यात्रा में भी सिगरेट गुटखा की तलब से अपने को मुक्त नहीं कर पा रहे हैं। सावन माह में भी हम सब भोलेनाथ के भक्तो को धार्मिक यात्रा पर जाने से पूर्व ही अपनी नशे वाली कुछ आदतों में सख्ती से बदलाव लाना ही होगा तभी हम दूसरों के लिए भी आदर्श बन सकेंगे।जब “हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा” । कई राज्यों में एकल प्लास्टिक पर रोक लगाने की घोषणा भी हो गई हो। सुंदर हरे भरे पर्वतीय क्षेत्र आज भी पेय पदार्थो की बोतलों से पटे पड़े हैं। जो हम सब के लिए दुखद ही है। केंद्र सरकार पवित्र तीर्थ स्थलों अयोध्या, काशी, मथुरा, वैष्णो देवी, के साथ ही अमरनाथ आदि के विकास में भी अरबो खरबों की भारी भरकम धनराशि खर्च कर रही है। जम्मू में अमरनाथ मार्ग पर भी पहाड़ों को काट कर कुछ सुरंग बन गई हैं कुछ पर तेजी से कार्य चल भी रहा है। पर्यावरण संरक्षण पर हम सभी को भी जागरूक होना ही होगा। अमरनाथ मे 8 जुलाई 2022 को बादल फटने की आपदा से उबर कर 11 जुलाई 2022 से अमरनाथ यात्रा फिर शुरू हो गई थी। इस बार बाबा बर्फानी के जल्द पिघलने के कारण तथा मौसम खराब होने से यात्रा कई बार रोकी गई । अब समय पूर्व ही यात्रा स्थगित हो गई है। लगभग ढाई लाख से अधिक भक्तो ने बाबा बर्फानी के दर्शन इस बार कर लिए। पर्वतीय एवम अन्य तीर्थस्थलो के आसपास नशीली वस्तुओं एवम पन्नी पर लगे रोक भारत की केंद्र सरकार अब हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों के विकास पर जिस तेजी से कार्य कर रही है। उससे हिंदू समाज को तेजी से अब समझ आने लगा है की अब तक पूर्व की सरकारों ने देश की हिंदू बाहुल्य जनता के साथ भेदभाव कर उन्हें उपेक्षित ही रखा। अब आने वाले समय में देश के आस्थावान हिन्दू नागरिकों को तीर्थ यात्रा और तीर्थ पर्यटन के बीच के अंतर को भी गंभीरता से समझना ही होगा। साथ ही शासन प्रशासन को भी हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों के आसपास नशा एवम मांस मदिरा पर भी सख्ती करनी ही होगी। सरकार को पर्वतीय एवम अन्य तीर्थस्थलो के आसपास नशीली वस्तुओं एवम पन्नी पर सख्ती से रोक लगानी ही चाहिए। इसके साथ ही जब “हम सुधरेंगे तो जग भी सुधरेगा”। कोविड काल को हम भारतीय इतनी जल्द भूल गए। बीते दिनों अमरनाथ यात्रा के दौरान बाबा बर्फानी यात्रा मार्ग में जब मैने बालटाल पर भी अंडा एवम सिगरेट गुटखा की खुली बिक्री होती दिखी। कुछ लोग तो दबी जवान में मदिरा की भी बिक्री की बात करते सुने गए। अमरनाथ यात्रा के दौरान जब 4 जुलाई 2022 को हमारी बस जम्मू से चलकर जब बालटाल पहुंची तो सामने ही अंडा की ट्रे खुले आम लगी दिखीं। यह भी तर्क दिया गया कि घोड़े खच्चर, पालकी वाले वर्ग विशेष के है उनके सेवन को ही अंडे बिक्री को रखे थे। हम सब कोरोना काल में बदली हुई दिनचर्या को इतनी जल्द भूल गए की कि तीर्थ यात्रा में भी सिगरेट गुटखा की तलब से अपने को मुक्त कर पा रहे हैं। हम सब भोले के भक्तो को धार्मिक यात्रा पर जाने से पूर्व ही अपनी नशे वाली कुछ आदतों में सख्ती से बदलाव लाना ही होगा तभी हम दूसरों के लिए भी आदर्श बन सकेंगे। धार्मिक आस्था में भी हम सब को ईमानदारी तो रखनी ही होगी। हम जब सावन नवरात्र में मांस, मदिरा, नशा का त्याग कर देते हैं तो तीर्थ यात्रा पर भी ऐसा आचरण क्यों नहीं करते। हम क्यों प्लास्टिक टेट्रा पैक आदि का कचरा फेकते हैं । अभी भी लोगो के लिए घोड़ा खच्चर पालकी से यात्रा के लिए वर्ग विशेष पर ही निर्भरता से उनके रेट भी मनमाने ही हैं जम्मू के बालटाल में स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ की वार्षिक 43 दिवसीय यात्रा 30 जून 2022 को अपने दोनों आधार शिविरों मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल मार्ग एवम दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में नुनवान – पहलगाम मार्ग से शुरू हुई थी । यह पवित्र अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त 2022 को रक्षा बंधन के दिवस को समाप्त होनी थी पर मौसम खराबी तथा बाबा बर्फानी के पिघलने से वह समय पूर्व ही स्थगित कर दी गई।
जम्मू से बालटाल तक का सफर, जो लगभग 400 किलोमीटर है। मार्ग में सुंदर घाटियों, झरनों और चारों तरफ हरियाली से होकर गुजरता है। बाबा बर्फानी के दर्शन करने आने वाले यात्रियों का नया अनुभव देता है। पवित्र गुफा के दर्शन के कारण इस रास्ते से सैनिकों की सतर्कता में गुजरते हुए हर तीर्थयात्री में उत्साह भी बढ़ जाता है।
वर्तमान में भारत में नरेंद्र मोदी सरकार एवम जम्मू के राज्यपाल ने सैनिक अधिकारियो के साथ पूर्व में ही बैठक कर ऐसा सुरक्षा तंत्र विकसित किया है। कि जगह जगह पर अब सैनिकों की तैनाती से सीमापर की आतंकी साजिशें सिर उठाने की हिम्मत भी नहीं कर सकेंगी। सभी हिंदू देवताओं में से भगवान भोलेनाथ शिव न केवल भारतीयों के बीच बल्कि अन्य देशों के लोगों के बीच भी लोकप्रिय हैं। परम पूज्य भगवान शंकर जी के करीब जाने के लिए, जो इस धरती पर एक बर्फ लिंगम के अनूठे रूप में अमरनाथ की पवित्र गुफा, जो 3880 मीटर की ऊंचाई पर है, में प्रकट होते हैं। लाखों भक्त हर साल गर्मियों के महीनों में दक्षिण कश्मीर में स्थित श्री अमरनाथ जी तीर्थ के लिए कठिन पहाड़ों के माध्यम से भोलेनाथ के दर्शन करने इस पवित्र गुफा में जाते हैं। यहां भक्तो की देखभाल का प्रबंधन श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (एस ए एस बी) द्वारा किया जाता है,
अभी भी अमरनाथ यात्रियों आदि लोगो के लिए घोड़ा खच्चर पालकी से यात्रा के लिए वर्ग विशेष मुस्लिम समाज पर ही निर्भरता बनी है। इसी कारण उनके रेट भी मनमाने ही हैं। बालटाल बेस कैंप से ऊपर जाने के लिए घोड़ा वाले 4 से 5 हजार, पालकी वाले 10 से 15 हजार रुपए मांगते हैं। जरूरत इस बात की है कि उनके मनमाने रेट पर अमरनाथ श्राइन बोर्ड कुछ अंकुश लगाए। कुछ सूत्रों ने बताया कि शासन से अभी भी वर्ग विशेष के अधिकारियों की भरमार है जिसके चलते ही घोड़ा खच्चर के रेट निर्धारित होने में समस्या आ रही है। पर उस दिशा में भी सरकार की नजर बनी हुई है।
जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ की बाबा बर्फानी दर्शन यात्रा को लेकर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, इंडो तिब्बत बॉर्डर फोर्स, आदि अर्द्धसैनिक बलों की 450 कंपनियों में शामिल लगभग 80 हजार जवान अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में तैनात रहे थे। सभी अर्धसैनिक कंपनियां भोले के भक्तो की सुरक्षित यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर प्रदेश में पहुंची थी, जिनको यात्रा से पूर्व ही तैनात भी कर दिया गया था।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार। मोबाइल 9411005249 W 807710362