कलम बरेली कलम की जय यात्रा का द्वितीय सोपान
बरेली। पत्रकार भाई निर्भय सक्सेना जी के द्वारा लिखित और सम्पादित कलम बरेली का दूसरा अंक प्राप्त हुआ है। मैंने कलम बरेली की 2 पत्रिका का अवलोकन किया है और मैं यह कह सकता हूं कि पत्रिका के कलेवर में छपी यह पुस्तक बरेली के समकालीन अर्थ सामाजिक परिवेश की एक प्रमाणिक दस्तावेज है। कुछ आमंत्रित लेखों के अतिरिक्त सारी पुस्तक पत्रकार निर्भय सक्सेना की कलम का कमाल है। नाथ नगरी बरेली अपने सांस्कृतिक वैभव के लिए विख्यात है आला हजरत की कर्मभूमि और खानकाह -ए- नियाजिया की पवित्र भूमि बरेली प्रदेश और देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक प्रगति का दर्पण है।
शैव, वैष्णव, वैदिक और अन्यान्य मतालम्बी इस भूमि पर पर परस्पर स्नेह के साथ रहते हैं। देश के कुछ अति प्राचीन मंदिरों के अतिरिक्त चर्च, मस्जिद और गुरूद्वारे इस नगर की धर्मप्राण जनता की श्रद्धा के केन्द्र हैं। शिक्षा क्षेत्र में भी यह नगर वैभवशाली और समृद्ध है। महात्मा ज्योतिवा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय राज्य सरकार के अतिरिक्त इनवर्टिस विश्वविद्यालय, बरेली इण्टरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली कालेज बरेली, साहू राम स्वरूप महाविद्यालय, आर्य समाज कन्या महाविद्यालय के अतिरिक्त दर्जनों निजी क्षेत्र के महाविद्यालय शिक्षा का प्रसार कर रहे हैं। लड़कियों के लिए अवन्ती बाई राजकीय महाविद्यालय है। उच्च शिक्षा अधिकारी के अतिरिक्त माध्यमिक और बेसिक शिक्षा के अनेक अधिकारियों के कार्यालय शिक्षा प्रशासन के कार्य में प्रतिमान गढ़ रहे हैं। यहां का आई. वी. आर. आई तथा सी. आर. आई. भारतवर्ष में प्रमुख केन्द्र माने जाते हैं। एस. आर. एम. एस, रूहेलखण्ड और राजश्री मेडीकल कालेज, अनेक आयुर्वेदिक तथा नर्सिग कालेज नगर में चिकित्सा तथा पैरामेडीकल शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इन सबका विस्तृत वर्णन भाई निर्भय सक्सेना ने अपनी पुस्तक कलम बरेली की 2 में समाहित किया है।
बरेली के स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, कवि, कथाकार साहित्य अनुरागियों के साथ विभिन्न रंगकर्मियों के संस्मरण इस पुस्तक में उपलब्ध है। कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों के रेखाचित्र भी इसमें सम्मिलित किये गये हैं। बरेली नगर की पत्रकारिता की दुनिया के कुछ अंतरंग शब्द चित्र इस बात का प्रमाण है कि बरेली बड़े समाचार पत्रों का प्रकाशन केन्द्र रहा है। बरेली के चुनींदा पत्रकारों का चित्र सहित परिचय लेख की सार्थकता में श्रीवृ(ि करता है। पुराने मंझे हुए पत्रकार शंकरदास के अनुभव, अनूप मिश्र का दर्द और निर्मल कांत शुक्ल का पत्रकारिता का बदलता स्वरूप पत्रकारिता जगत का अतिवृत्तात्मक विवरण प्रस्तुत करता है। रणजीत पांचाले, कुंवर हर्षराज सिंह, डा. श्वेतकेतु शर्मा, डा. आलोक खरे के लेख इस पुस्तक को समृ( करते हुए एक महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं। अनेक विषयों पर विषय विशेषज्ञों के आमंत्रित लेखों से पुस्तक की गरिमा और उपादेयता में वृ(ि हुयी है। गुडविन मसीह का लेख बरेली में गूंज रही बरेली के झुमके और प्रियंका की बरेली के कतिपय कलाकारों का वर्णन है। निर्भय जी ने खुद बरेली के रंगकर्मियों का वर्णन किया है और यह तथ्य उद्घाटित किया है कि पृथ्वी थियेटर के अधिष्ठाता और सुप्रसि( अभिनेता अनेक नामी गामी कलाकारों केे पिता और पितामह पृथ्वीराज कपूर बरेली में नाटक खेलने आया करते थे। रंगकर्मियों को मिले प्लेटफार्म रि(िमा की चर्चा भी अमित अवस्थी जी ने की है। सम सामयिक विषयों पर लिखे गये विविध विषयों को एक सूत्र में पिरोकर भाई निर्भय सक्सेना ने एक सराहनीय कार्य किया है। ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियों से भरी इस पुस्तक को लोगों का बिना किसी मूल्य के वितरित कर सामाजिक दायित्व का निर्वाह किया है। निर्भय जी का यह उदात्तभाव अति प्रशंसनीय है और यह प्रमाणित करता है कि बहुत आवश्यक वस्तुयंे परमात्मा हमें बिना किसी मूल्य के उपलब्ध कराता है तो उसकी प्रेरणा से समाज की सेवा में हम जो कुछ भी योगदान कर सकते हैं करें। पुस्तक का कलेवर अच्छा है प्रिंटिंग साफ सुथरी है पर अक्षर छोटे होने से सीनियर सिटीजन पढ़ने में दिक्कत महसूस कर सकते हैं प्रभु कृपा करे और कलम बरेली की आगे की कड़िया भी हम सब को सुलभ हो ऐसी आशा और विश्वास के साथ निर्भय सक्सेना जी को उनके प्रयास के लिए साधुवाद देते हुए शुभकामना प्रेषित करता हूं।
प्रो. एन. एल. शर्मा 14, कीर्तिनगर बरेली-243122 मोबाइल 9412287774
महानिदेशक गंगाशील महाविद्यालय