बदायूं।आज युवा संकल्प सेवा समिति की ओर से नेता जी सुभाषचंद्र बोस जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन दुर्गा मंदिर सभागार निकट पुरानी चुंगी पर आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने की एवं संचालन विशाल वैश्य ने किया। गोष्ठी का शुभारम्भ नेता जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम ‘जानकीनाथ बोस’ और माँ का नाम ‘प्रभावती’ था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वक़ील थे। नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात् उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेज़िडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई, और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप पधारे युवा नेता पारस गुप्ता ने कहा कि सक्रिय राजनीति में आने से पहले नेताजी ने पूरी दुनिया का भ्रमण किया। वह 1933 से 36 तक यूरोप में रहे। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। उनका मानना था कि स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग की भी जरूरत पड़ती है। सस्था के उप सचिव निखिल कुमार गुप्ता ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर पहुंचे। जहां उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान अपने हाथों में ले ली। उस वक्त रास बिहारी बोस आज़ाद हिंद फ़ौज के नेता थे। उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज का पुनर्गठन किया। महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजिमेंट का भी गठन किया संस्था के कोषाध्यक्ष योगेन्द्र सागर ने कहा कि नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” दिया।इस मौके पर बिश्व नाथ मौर्य, मुनीश कुमार, देव गौतम, दिलीप कश्यप, अभिषेक गुप्ता, नितिन कश्यप, आनन्द कश्यप, अंकित साहू आदि उपस्थित रहे।