हिन्दी के लिए कानून से अधिक जनसमुदाय की मान्यता चाहिए:डॉ जायसवाल
बदायूं।राजकीय महिला महाविद्यालय बदायूं में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं हिन्दी विभाग के सँयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे हिन्दी सप्ताह व “मिशन शक्ति” तृतीय चरण के अंतर्गत “हिंदी की दशा एवं दिशा” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने किया।मुख्य वक्ता के रूप में एनएसएस के जिला नोडल अधिकारी डॉ राकेश कुमार जायसवाल रहे।मुख्य अतिथि राजकीय महाविद्यालय आवास विकास की प्रभारी प्राचार्य डॉ अंशु सत्यार्थी ने कार्यक्रम का उदघाटन किया। उन्होंने स्वरचित काव्य पाठ भी किया।कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ वन्दना ने किया।
मुख्य वक्ता डॉ राकेश कुमार जायसवाल ने अपना व्याख्यान देते हुए आजादी के पूर्व से लेकर अब तक के हिंदी की राष्ट्रभाषा के लिए की गई संघर्ष यात्रा को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी दीर्घ काल से ही अखंड भारत में जनमानस के विचारों का आदान प्रदान करने का माध्यम तथा संपर्क की भाषा रही। स्वतंत्रता की लड़ाई में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया तब से लेकर वर्तमान तक हिन्दी संवैधानिक और व्यवहारिक दोनों रूप में अपने मान सम्मान व अस्तित्व को ले कर संघर्ष कर रही है।डॉ जायसवाल ने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में कानूनी मान्यता को अमली जामा पहनाने के लिए जनसमुदाय द्वारा मान्यता मिलनी चाहिए, जिसकी आज सबसे बड़ी आवश्यकता है।डॉ जायसवाल ने कहा कि अबतक संविधान का पालन जिस प्रकार से हुआ है,उसके कारण अंग्रेजी और अंग्रेज़ियत को समाप्त नही हो सका। राष्ट्रभाषा हिन्दी को हम वो प्रतिष्ठा नहीं दे सके जो स्वंतत्रता प्राप्ति के बाद उसे मिलना चाहिए था।डॉ जायसवाल ने कहा कि अंग्रेज़ियत एक संस्कृति है, एक संस्कार है जो भारतीय जनता को बड़े आकर्षण के साथ आधुनिकता और विज्ञान के नाम पर सिखाया जा रहा है। अंग्रेज, अंग्रेजी और अंग्रेज़ियत इन तीनों में सबसे अधिक घातक भारतीय जनता के लिये अंग्रेजियत ही है, जो हमारे संस्कार और राष्ट्रीय गौरव और अस्मिता को ठेस पहुंचा रहे है। महात्मा गांधी इसीलिए अंग्रेज़ियत और अंग्रेजी को भारत से बहिष्कृत करना चाहते थे।
अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ मनोज शर्मा ने कहा कि हिन्दी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा रही है। सोशल मीडिया से लेकर विज्ञापन तक चारों ओर छायी हुयी है।इस अवसर पर डॉ राजधन,,डॉ संजीव श्रीवास, डॉ भावना सिंह,रोहित कुमार आदि के साथ 120 छात्राएं उपस्थित रहीं।