ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ के बावजूद अमेरिका को भारत का निर्यात 22.6 फीसदी बढ़ा, कई सेक्टर्स बने मजबूत सहारा
नई दिल्ली।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी आयात शुल्क के बाद दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन नवंबर 2025 के आंकड़ों ने इन आशंकाओं को काफी हद तक गलत साबित कर दिया है। रूस से तेल खरीदने को लेकर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ जुर्माने और पहले से लागू 25 फीसदी शुल्क के बावजूद भारत ने अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखी है। नवंबर 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात सालाना आधार पर 22.6 फीसदी बढ़कर करीब सात अरब डॉलर तक पहुंच गया।
नवंबर के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम माने जा रहे हैं। इस महीने भारत का कुल मर्चेंडाइज निर्यात 38.13 अरब डॉलर रहा, जो नवंबर 2024 के 31.94 अरब डॉलर की तुलना में 19.37 फीसदी अधिक है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब सितंबर और अक्तूबर में अमेरिकी टैरिफ के असर से निर्यात में गिरावट देखी गई थी। इससे साफ है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग टैरिफ बढ़ने के बावजूद बनी हुई है।
निर्यात में इस उछाल का सीधा असर भारत के व्यापार घाटे पर भी पड़ा है। नवंबर 2025 में व्यापार घाटा घटकर 6.6 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले वर्ष इसी महीने में 17.06 अरब डॉलर था। यानी इसमें करीब 61 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। यह कमी केवल निर्यात बढ़ने से नहीं, बल्कि आयात में गिरावट की वजह से भी आई है। खास तौर पर सोने के आयात में 60 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई, जो घटकर चार अरब डॉलर रह गया।
ट्रंप के टैरिफ के बावजूद निर्यात बढ़ने की एक बड़ी वजह यह है कि भारतीय निर्यातक अपने मुनाफे के मार्जिन को कम कर अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। चीन, थाईलैंड और बांग्लादेश जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा के चलते कई निर्यातक टैरिफ का बोझ खुद उठा रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, निर्यातक फिलहाल संबंध बनाए रखने को प्राथमिकता दे रहे हैं, ताकि अमेरिकी बाजार हाथ से न निकले।
चीन पर ऊंचे टैरिफ और बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का भी भारत को फायदा मिल रहा है। अमेरिकी कंपनियों के पास विकल्प सीमित हैं और सप्लाई चेन को अचानक बदलना आसान नहीं है। ऐसे में भारत बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता वाला भरोसेमंद विकल्प बना हुआ है। इसके अलावा नवंबर में अमेरिका में थैंक्सगिविंग और क्रिसमस जैसे त्योहारों के चलते मांग बढ़ी, जिससे भारतीय निर्यात को सहारा मिला।
सेक्टर्स की बात करें तो इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में सबसे तेज बढ़त देखने को मिली है। नवंबर 2025 में यह 38.96 फीसदी बढ़कर 4.81 अरब डॉलर पहुंच गया। भारत में आईफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। इंजीनियरिंग गुड्स का निर्यात भी 23.76 फीसदी बढ़कर 11.01 अरब डॉलर रहा, जिसमें ऑटो कंपोनेंट्स और मशीनरी अहम रहे। रत्न और आभूषण क्षेत्र में भी अमेरिका को निर्यात 27.8 फीसदी बढ़ा है।
हालांकि टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट्स सेक्टर पर टैरिफ की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। तिरुपुर जैसे निटवियर हब में कई एमएसएमई इकाइयां दबाव में हैं और मुनाफा घटने से रोजगार पर भी असर दिख रहा है। आंकड़ों में भले ही निर्यात बढ़ा हो, लेकिन इस सेक्टर में लाभ सीमित बताया जा रहा है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो ट्रंप के टैरिफ का असर मिला-जुला रहा है। जहां कुछ हद तक भारतीय निर्यातकों के मुनाफे पर दबाव पड़ा है, वहीं अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मजबूत मांग ने यह साफ कर दिया है कि टैरिफ के बावजूद भारत को पूरी तरह बाहर करना आसान नहीं है। नवंबर के आंकड़े बताते हैं कि आपूर्ति शृंखला और बाजार की मजबूती टैरिफ की दीवारों से कहीं ज्यादा ताकतवर साबित हो रही है।
