आदर्शों का जयगान है बाल रामायण
बरेली। बाल रामायण के रचयिता डॉ दीपंकर गुप्त सनातन संस्कृति, संस्कारों तथा मानवीय मूल्यों को बच्चों में प्रमुख रूप से जागृत करने, उन्हें प्रेरित करने तथा प्रभु राम की जीवन गाथा से परिचित कराने के उद्देश्य से निरंतर प्रयासरत हैं। वे विद्यालयों में पहुंचकर प्रभु श्री राम की आदर्शमयी जीवन गाथा से उन्हें अवगत कराते हैं तथा राष्ट्र, धर्म एवं संस्कृति की सेवा करने को उन्हें प्रेरित तथा जागृत करते हैं ।

आज बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां बच्चों को नौकरी या व्यवसाय के लिए पढ़ने को शिक्षा दी जाती है परंतु उन्हें नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा से दूर रखा जा रहा है। जिससे बच्चों में अनैतिक विचार और विकार पनप रहे हैं ।
उपर्युक्त विचार डॉ दीपंकर गुप्त ने एडरेबल पब्लिक स्कूल मढ़ीनाथ बरेली की बाल सभा में व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय के प्रबंधक शशांक राठौर, अध्यापिका शकुन वर्मा, रंजना शर्मा एवं प्रगति मिश्रा को सम्मानित किया तथा विद्यालय के बच्चों को बाल रामायण की प्रतियां भेंट कीं। साथ ही उन्हें श्री राम पटका पहनाकर पुरस्कृत किया।
