नाटक मेरा राजहंस, नाटक नहीं बल्कि सुधीर विद्यार्थी जीके जीवन की सत्य घटना पर आधारित है, जो कि सुधीर जी का संस्मरण है।
नाटक में मुख्य पात्र सुधीर है जो कि अपने मृत पुत्र की यादों में विलीन रहता है। पुत्र चन्दन जिसकी मृत्यु अल्पायु में एक सड़क दुर्घटना में हुयी है, जिस कारण पिता सुधीर पुत्र वियोग में अकेला पड़ गया है। चन्दन को जन्म से ही बहुत सी बीमारी रही, लेकिन वो हंसते हंसते बीमारियों से लड़ता गया।
चिकित्सा व्यवस्था पर तंज कसती ये कहानी, अंततः एक पीड़ा को दर्शाती है, पिता की पुत्र के लिये पीड़ा।
एकलव्य देहरादून की पीड़ा की प्रस्तुति में मंच पर अखिलेश नारायण, एवं मंच पार्श्व में प्रकाश संयोजन ऋतिक सिमल्टी का रहा, संगीत संरचना सुप्रिया मौलिक की रही, प्रस्तुति नियंत्रण जागृति कोठारी का रहा, प्रस्तुति के दौरान श्री देव मूर्ति जी उपस्थित रहे एवं प्रस्तुति की सराहना की।
