डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर गोष्ठी हुई,याद किया
बदायूँ।आवास विकास स्थित राजकीय महाविद्यालय, बदायूं में डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को परिनिर्वाण दिवस के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया तथा गोष्ठी आयोजित कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित विचारों का आदान प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार ने की तथा संचालन डॉ. रविंद्र सिंह यादव ने किया। दीप प्रज्वलन के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार ने भाषण दिया। उन्होंने कहा कि जब तक समाज की निचली पायदान पर खड़ा व्यक्ति आत्मगौरव के साथ नहीं उठ खड़ा होगा, तब तक राष्ट्र का समग्र विकास और विकसित भारत का निर्माण संभव नहीं है। डॉ. संजय ने अंबेडकर जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख करते हुए बाबा साहब के द्वारा गरीबों तथा महिलाओं को शिक्षित करने से संबंधित विचारों को रेखांकित किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सतीश सिंह यादव ने अंबेडकर जी के जल संरक्षण संबंधी प्रयासों का उल्लेख करते हुए “नदी जोड़ो परियोजना” पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने अंबेडकर जी के सामाजिक न्याय के सिद्धांत और दलित समाज के उत्थान हेतु किए गए कार्यों को विस्तार से बताया। शारीरिक शिक्षा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हुकुम सिंह ने अंबेडकर जी द्वारा अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए किए गए आंदोलन की चर्चा की। इस अवसर पर इतिहास परिषद के अध्यक्ष अनूप सिंह यादव, छात्रा समीक्षा एवं अस्मिता सागर ने भी अपने विचार रखे। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर दलित व वंचित समाज के मसीहा थे। उन्होंने समाज के अछूत वर्ग को समानता का अधिकार दिलाकर राष्ट्र के उन्नयन के लिए संविधान की रचना की, जिससे भारत लोकतंत्र के पथ पर अग्रसर हुआ।
कार्यक्रम में डॉ. बबीता यादव, डॉ. सारिका शर्मा, डॉ. गौरव कुमार सिंह, डॉ. दिलीप कुमार वर्मा, डॉ. जुनेद आलम, वीर बहादुर सिंह, निखिल सिंह चौहान, पवन कुमार, विकास कुमार, महिमा भारती और तमन्ना समेत अनेक छात्र-छात्राएँ एवं प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।
