केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं ने खोले किसानों की समृद्धि के द्वार
बदायूँ । अन्नदाता किसानों की खुशहाली और समृद्धि ही राज्य या देश के विकास का मूल है। अगर देश और राज्य के अन्नदाता किसान खुशहाल और समृद्ध होंगे, तो देश विकास के पथ पर निरन्तर अग्रसर रहेगा। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी ने कहा था कि देश के विकास का रास्ता गांव के खेत और खलिहानों से होकर जाता है। विगत 11 वर्षों में भारत के अन्नदाता किसानों को खेती – किसानी को समृद्ध करने, कृषि व्यवस्थाओं को आसान करने और कृषि कार्यों से जुड़े कृषक परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए तमाम योजनाएं लागू की गई, जिससे देश और प्रदेश के किसान खुशहाली की एक नई राह पर चल पड़े हैं। पहले धरती मां, जो हमारा पेट भरती है, उनके उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आगमन के बाद पहली बार पूरे देश में स्वॉयल हेल्थ कार्ड की व्यवस्था प्रारम्भ की गयी। स्वॉयल हेल्थ कार्ड के माध्यम से मृदा का परीक्षण किया जाता है। पूरे देश में अन्नदाता किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वन नेशन वन मण्डी आदि योजनाओं की लम्बी श्रृंखला संचालित है।
अन्नदाता किसानों को अब अपनी उपज को एक मण्डी से दूसरे मण्डी ले जाने पर टैक्स नहीं लगता है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत अन्नदाता किसानों को 06 हजार वार्षिक धनराशि दी जाती है। देश के 12 करोड़ किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं। यह धनराशि प्राप्त हो जाने से किसान अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहते हैं। प्रदेश में विगत 08 वर्षों में 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान की गयी। अर्जुन सहायक परियोजना, बाणसागर परियोजना, सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना विगत कई वर्षों से लम्बित पड़ी थीं, उन्हें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से जोड़ा गया। केन्द्र व राज्य सरकार के नेतृत्व में इन परियोजनाओं को पूर्ण कराकर अन्नदाता किसानों को पानी की सुविधा प्रदान की गयी। प्रदेश सरकार ने 16 लाख निजी नलकूपों के विद्युत बिल को माफ किया।
किसानों की उपज का मुनाफा बिचौलियों से बचाने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में कई क्रय केन्द्र स्थापित किये गये। प्रदेश सरकार ने तय किया कि क्रय केन्द्रों के माध्यम से जिस किसान के नाम पर भूमि होगी, उसी से उपज को क्रय किया जाएगा तथा एम0एस0पी0 (न्यून्तम समर्थन मूल्य) का सीधा लाभ अन्नदाता किसानों को प्राप्त होगा।
प्रदेश सरकार द्वारा विगत साढ़े 08 वर्षों में गन्ना मूल्य में 85 रुपये प्रति कुंतल की वृद्धि की गयी, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानो को मिला है। वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश में 108 से 110 चीनी मिलें संचालित थीं। जो चीनी मिलें संचालित थीं, उनकी क्षमता की स्थिति बहुत खराब थी। वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रदेश की 42 चीनी मिलों ने अपनी क्षमता का विस्तार किया तथा चार से अधिक नई चीनी मिलें लगी हैं। प्रदेश में कोजेन प्लाण्ट, डिस्टलरी व एथेनॉल प्लांट स्थापित हुए हैं। चीनी मिलें एक शुगर कॉम्प्लेक्स के रूप में कार्य कर रही है। आज प्रदेश में गन्ने का दायरा 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर लगभग 30 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है।प्रदेश में टेक्नोलॉजी का उपयोग कर गन्ना किसानों को ऑनलाइन पर्ची देने की व्यवस्था की गयी है। इससे घटतौली, माफियागिरी बंद हो गई। उत्तर प्रदेश में अकेले चीनी मिलों के द्वारा 10 लाख से अधिक लोगों को सीधे-सीधे रोजगार उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने खाड़सारी में रियायत व सुविधाएं देते हुए लाइसेंस निःशुल्क दिये। इससे आवश्यकतानुसार चीनी मिल, डिस्टलरीज, एथेनॉल प्लाण्ट, कोजेन प्लाण्ट तथा फाइन शुगर की यूनिटें लग सकेंगी। जहां गुड़ की आवश्यकता होगी, वहां खाड़सारी उद्योग फलेगा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक स्थिति में अन्नदाता किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिले, उनके चेहरे पर खुशहाली आए।
