जहां आपसी तालमेल, सहयोग और संवाद होता है वही है घर : गीता दीदी
बरेली। जहां प्रेम है, अपनापन है, आपसी तालमेल, सहयोग और संवाद है वही घर है। जिस घर में पवित्र वातावरण है। आचरण शुद्ध है वह घर ही मंदिर होता है। दिव्यता का संचार ही घर को आश्रम या मंदिर बनाता है। जी आई सी ऑडोटोरियम मे ब्रह्माकुमारी संस्था के घर बने मंदिर कार्यक्रम में भीनमाल राजस्थान से आई गीता दीदी ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि पहले घर में सभी सदस्यों के बीच में आपस में बहुत स्नेह, अपनत्व और आदर था। हर कार्य में सुख दुख में सब साथ रहते थे। किसी को कोई समस्या होती थी सब साथ बैठ कर आराम से सुलझा लेते थे परन्तु आज का जीवन बिल्कुल अलग नजर आ रहा है। मोबाइल एवं टी वी सीरियल देख कर महिलाएं उस पात्र की झलक अपने में देख कर व्यर्थ में दुखी हो रही हैं । मोबाइल की गिरफ्त बच्चे आ गए हैं। बच्चे, युवा जीवन से थक रहे हैं। वह नशे के शिकार हो रहे हैं। परिवार टूट रहे हैं। संबंधों में कमी आ गई है। घर में घर का खाना नहीं खाना चाहते, सोच बदल गई है। आपस में विश्वास खत्म होता जा रहा है।
जी. आई. सी. ऑडिटोरियम में घर बने मंदिर कार्यक्रम में गीता दीदी ने कहा कि हम आपस में अच्छे रिश्ते बनाए। गीता दीदी ने आगे कहा रिश्तों में जान न भी डालो, रिश्तों के लिए थोड़ा समय निकालो, अपनो के बीच समय बिताए। इस अवसर पर नीतू कन्नौजिया, जिला सूचना अधिकारी, डॉ अंजू ऊपल डायरेक्टर ब्लड सेंटर, सोनल जी, प्रेसिडेंट इनर व्हील ग्लोरी स्पार्क, अर्चना सक्सेना शिक्षक, बरेली कॉलेज, सुरेन्द्र वीनू सिन्हा अध्यक्ष, मानव सेवा क्लब, प्रकाश चंद्र सक्सेना, अरुणा सिन्हा, हर्ष अग्रवाल, कलम बरेली के संपादक निर्भय सक्सेना, प्रिंसिपल आर्य पुत्री कन्या इंटर कॉलेज, अशोक अग्रवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित रहें। दीप प्रज्ज्वलन करने के बाद घर एक मंदिर कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर सास वहु, पति पत्नी का क्विज शो भी कर उस के सहभागियों के विचार सुने गए।
इसके पहले प्रातः कालीन सत्र में गीता दीदी ने व्यापारियो एवं उद्योगपतियों के सम्मेलन में कहा व्यापार में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा एवं चैलेंजेस हैं अगर हमें सफल होना है तो अपना कम्युनिकेशन स्किल को बढ़ाना है, पॉजिटिव बातचीत करनी है आपस में प्रेम और विश्वास करना होगा, हमारा स्वभाव बहुत शांत और व्यवहार बहुत मधुर होना चाहिए, हम स्वयं से बातें करें व स्वयं को समय दे। अपनी प्रशंसा स्वयं करे । इसके लिए हमें अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करना होगा, आत्मविश्वास, अनुशासन, सकारत्मक सोच, आत्मनियंत्रण और सीखने की प्रवृत्ति जैसी आन्तरिक शक्तियां व्यक्ति को हर परिस्थिति में सशक्त बनाती हैं, जो व्यक्ति इन शक्तियों को विकसित करता है, वह न केवल अपने लक्ष्यों को हासिल करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और संतुष्टि भी प्राप्त करता है। इस अवसर पर श्री अनुराग सक्सेना, अध्यक्ष होटल वेलफेयर एसोसिएशन, अशोक गोयल, अशोका फोम, राजेंद्र घिल्डियाल, हरीश मलिक, भी उपस्थित रहे एवं लगभग 150 व्यापारी उपस्थित थे । इस कार्यक्रम का भी दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया गया। नीता दीदी द्वारा सभी का स्वागत एवं परिचय कराया गया। पारुल दीदी ने गीता दीदी का विस्तृत परिचय दिया । मोहित भाई ने बहुत सुंदर गीत गाया। रजनी दीदी ने पूरे कार्यक्रम का संचालन किया। निर्भय सक्सेना
