बरेली । अखिल भारतीय साहित्य परिषद का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर रीवा में सम्पन्न हुआ । रीवा के कृष्णा राज ऑडिटोरियम के विशाल और भव्य सभागार मे आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन में 28 प्रांतो से आए 22 भाषाओं के 1086 साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया । अधिवेशन की मुख्य विशेषता यह रही कि इसमें भारत की भाषाई विविधता और राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में उसकी अद्भुत एकता का सुखद चित्र देखने को मिला । तीन दिन तक चलने बाले इस अधिवेशन में कुल मिलाकर सात सत्र आयोजित हुए । इन सत्रों में देश के कोने – कोने से पधारे साहित्यकारों ने साहित्य के विविध पहलुओं पर गहन चिंतन, मंथन एवं आपस में विमर्श किया । आत्मवोध से विश्ववोध परिषद के इस 17हवें अधिवेशन का मुख्य विषय रहा । इस अधिवेशन में बरेली के सात साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया । इन साहित्यकारों मे ब्रज प्रान्त के प्रांतीय अध्यक्ष डाॅ सुरेश बाबू मिश्रा ,प्रांतीय कोषाध्यक्ष उमेश चन्द्र गुप्ता ,जनपदीय संरक्षक बरेली प्रोफेसर के ए वार्ष्णेय, प्रमोद कुमार मिश्रा , निर्भय सक्सेना एवं गंगाराम पाल शामिल रहे । उमेश चन्द्र गुप्ता ने पांचवे सत्र के प्रारंभ में परिषद के ध्येय गीत की ह्र्दय स्पर्शी प्रस्तुति कर बरेली का गौरव बढ़ाया । इस अवसर पर निर्भय सक्सेना की पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया । अधिवेशन के समापन सत्र से पूर्व साहित्य परिषद की नवीन राष्ट्रीय कार्यकारिणी का मनोनयन सर्व सम्मति से किया । परिषद के राष्ट्रीय संगठन मन्त्री श्रीधर पराड़कर ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की । उत्तर प्रदेश हरदोई के बरिष्ठ साहित्यकार सुशील चन्द्र त्रिवेदी मधुपेश को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया । परिषद के राष्ट्रीय महामन्त्री का दायित्व उत्तर प्रदेश के बरिष्ठ साहित्यकार एवं राष्ट्रधर्म मासिक के प्रबंध सम्पादक डाॅ पवन पुत्र बादल को सौंपा गया । परिषद की नवीन राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल मिलाकर 21 पदाधिकारी मनोनीत किए गए । विभिन्न प्रांतो से राष्ट्रीय कार्यकारणी के 11 कार्यकारिणी के सदस्यों की भी घोषणा की गई ।