बदायूं। रुहेलखंड के सुप्रसिद्ध मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में आस्था, श्रद्धा और उत्साह का रंग अभी भी चढ़ा हुआ है। जहां एक ओर शहरी श्रद्धालु धीरे-धीरे अपने घरों को लौटने लगे हैं, वहीं ग्रामीण अंचलों से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। मेला ककोड़ा में हर दिन की तरह आज भी तड़के से ही हर-हर गंगे और जय मां गंगे के जयघोष गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर मां गंगा का आशीर्वाद लिया, दीप प्रज्ज्वलित किए और आरती के साथ नमन-वंदन किया। गंगा तट से लेकर मेला परिसर तक श्रद्धा और उत्सव का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। ग्रामीण श्रद्धालु अपने बैलगाड़ियों, मोटरसाइकिलों, टेंपो और कारों से मेला स्थल पर पहुंच रहे हैं। मेला केवल आस्था का केंद्र नहीं बल्कि ग्रामीण बाजार में बदल गया है। गांवों से आए लोग अपने बेटा-बेटियों की शादी-ब्याह के लिए जरूरी सामान बक्से, अलमारी, रजाई, कंबल और गृहस्थी के अन्य सामान की खरीदारी कर रहे हैं। मेले में लगे चाट-पकौड़ी, जलेबी, पेठा, इलायची दाना, बतासे और खजले के ठेले श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित कर रहे हैं। बच्चे और युवा झूलों और मनोरंजन के साधनों का आनंद ले रहे हैं। दिनभर गंगा स्नान, पूजा-अर्चना और खरीदारी का सिलसिला जारी रहता है, और शाम ढलते ही श्रद्धालु अपने घरों को लौट जाते हैं। हालांकि बरेली मेला क्षेत्र और कुर्मियान मेला क्षेत्र के तंबू अब उखड़ने लगे हैं, वहीं जिला पंचायत द्वारा लगाने गए तंबुओं को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके बावजूद, मेला प्रशासन और पुलिस की व्यवस्था पहले की तरह मुस्तैद है। मेला ककोड़ा 12 नवंबर तक चलेगा, इसलिए सुरक्षा और स्वच्छता के सभी इंतज़ाम बनाए रखे जाएंगे। फिलहाल मेला ककोड़ा श्रद्धा, उत्साह और खरीदारी से सराबोर है। गंगा तट पर उमड़ती भीड़, बजते शंख, में गूंजते भजन और मुस्कुराते दुकानदार यह सब मिलकर साबित कर रहे हैं कि आस्था का यह मेला अभी पूरी तरह गुलजार है।